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रेल यात्रा पर निबंध (Train Journey Essay in Hindi)

एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना यात्रा कहलाता है। जब कहीं दूर जाने की बात हो तो सबसे पहला ख्याल रेल का ही आता है। निःसंदेह रेल से यात्रा करना काफी आरामदायक और सुविधाजनक होता है। दूरस्थ स्थानों के लिए यह सर्वोत्तम साधन है। रेल यात्राओं पर भी प्रायः निबंध आदि पूछे जाते हैं, यहां हम कुछ छोटे और बड़े निबंध दे रहे हैं जो परीक्षा की दृष्टि से लाभकारी होगा।

रेल यात्रा पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Train Journey in Hindi, Rail Yatra par Nibandh Hindi mein)

रेल यात्रा पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

आजकल ट्रेनें हर देश में देखी जाती हैं। इसमें एक इंजन और कई डिब्बे होते हैं। यह यात्रियों और सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाती हैं। आरामदायक और सुविधाजनक होना रेल यात्रा का सबसे बड़ा लाभ है। सबसे उल्लेखनीय, एक रेल के डिब्बे में स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकते है। ट्रेनों में, पर्याप्त हवा वाली बोगियां होती है। इसके अलावा, रेलगाड़ी आरामदायक सोने के लिए बर्थ प्रदान करती हैं। यह सब रेल यात्रा को एक आरामदायक अनुभव प्रदान करती हैं।

रेल यात्रा का महत्व

रेल में यात्रा करने वाले यात्रियों के साथ कोई भी नया मित्र बना सकता है। इसके अलावा, एक रेल यात्रा पर एक सुंदर तरीके से समय बिता सकते हैं। रेल यात्रा में, व्यक्ति कुछ पढ़ने, संगीत सुनने, वीडियो देखने, आराम से सोने आराम करने आदि के लिए समय बिता सकता है। सुंदर यात्राएं रेल की यात्रा का एक और उल्लेखनीय लाभ है। जैसे-जैसे रेल यात्रा होती है, वैसे-वैसे ग्रामीण इलाकों, खेतों, जंगलों, कारखानों आदि के दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

हमें रेल यात्रा के दौरान चोरों, जेब कतरों, लुटेरों आदि से सावधान रहना चाहिए। हमें रेल यात्रा के दौरान अपने हाथ या फ़ोन को बाहर नहीं निकालना चाहिए। हमें अपने टिकट को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए।

रेल के सफर में कई तरह के अवसर मिलते हैं। इसके अलावा, रेल एक मिलनसार वातावरण प्रदान करती है। रेल की यात्रा में, यात्रियों के बीच बातचीत लगभग हमेशा होती रहती है। हम सभी को सावधानियां बरतते हुए रेल यात्रा का आनंद लेना चाहिए।

निबंध – 2 (400 शब्द)

एक रेल यात्रा निश्चित रूप से एक शानदार खुशी का अवसर देता है। इसके अलावा, रेल की यात्रा व्यक्तियों को तीव्र उत्साह की भावना से भर देती है। यात्रा की दूरी लंबी होने पर यात्रा का यह तरीका सबसे अच्छा है। एक रेल यात्रा एक ऐसी आभा बनाती है जिसे अन्य प्रकार की यात्रा के साथ अनुभव नहीं किया जा सकता है।

रेलवेज़ हमेशा से देश की आर्थिक प्रगति में अहम भूमिका निभाती हैं। हमारे देश की अधिकतम आय इसी क्षेत्र से आती है। हर देश के प्रगति का पथ निर्धारित करती है, रेलवे। अन्य साधनों से बेहद सस्ती और आरामदायक होने से हर तबके के लोग इससे यात्रा करना बेहतर समझते है। हमारी देश की गरीब जनता का इसके बिना काम ही नहीं चल सकता।

मेरी पहली रेल यात्रा

मुझे रेल से कहीं भी आना-जाना बहुत अच्छा लगता है। वैसे तो मैनें बचपन से ही बहुत रेल यात्राएं की है, जो कि मेरे स्मृति में विद्यमान भी नहीं। अपने याद में मैने प्रथम रेल यात्रा तब की, जब बारहवीं के बाद मैं अपनी गर्मी की छुट्टियां मनाने अपनी बड़ी बहन के पास लुधियाना गयी।

यह सफर मेरी जिन्दगी का सबसे यादगार सफर था। उसके बाद भी मैने अनेको यात्राएं की परंतु वो रोमांच कभी नही आया। मेरे बड़े भाई भी मेरे साथ जा रहे थे, मेरी बहन ने हम दोनों की टिकटें पहले से ही करा रखी थी, वाराणसी से लुधियाना का मेरा सफर काफी रोमांचक होने वाला था। वाराणसी से लुधियाना का सफर करीबन 16-17 घंटे का होता है। मैनें अपने सफर के लिए ढ़ेर सारी खाने की चीजें बना ली थी।

जम्मूतवी एक्सप्रेस से हम जाने वाले थे, हमारी रेल के छुटने का समय शायद शाम के 3 बजे का था, हम दो बजे ही रेलवे स्टेशन पहुंच गये थे। हमारी गाड़ी भी नियत समय से रवाना हो गयी। वाराणसी से पहले जौनपुर, फिर प्रयागराज, कानपुर, आगरा, नई दिल्ली होते हुए अगले दिन दोपहर बारह बजे के करीब लुधियाना पहुंचे। स्टेशन पर पहले से ही मेरी दीदी और जीजू आ गये थे, हमे देखते ही उनके खुशी का ठिकाना नहीं था।

रेल यात्रा वास्तव में एक तरह से यादों का खूबसूरत सफर होता है। जो आजीवन याद रहता है। रेल की यात्रा किसी अन्य यात्रा की तरह विशिष्टता प्रदान करती है। सबसे उल्लेखनीय, इस तरह की यात्रा का आकर्षण पहुंच से बाहर है। रेल की यात्रा निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय समृद्ध अनुभव प्रदान करती है।

निबंध – 3 (500 शब्द)

पर्यटन, यात्राएं, पिकनिक और सैर बहुत आम हैं। रेल या बस से यात्रा करने से हम में से अधिकांश के लिए बहुत आकर्षण का केन्द्र होता है। यह हमें नई जगहों और सबसे दिलचस्प लोगों को देखने का मौका देता है।

मेरा रेल यात्रा का अनुभव

मेरा कॉलेज 10 जून को गर्मियों की छुट्टी के लिए बंद हो गया और मैंने दिल्ली जाने का फैसला किया। मेरे बड़े भाई वहीं रहते हैं। उन्होंने मुझे कुछ दिन उनके साथ बिताने के लिए आमंत्रित किया था। इसलिए मैंने सामान पैक किया और स्कूटी पर रेलवे स्टेशन चली गयी। मेरे पिता जी मुझे छोड़ने आए थे। हम समय रहते स्टेशन पहुँच गए थे । वहां टिकट के लिए लगी लम्बी कतार को देखकर मैं घबरा गई थी। हमने टिकट पहले से ही आरक्षित करा ली थी। इसलिए मैंने राहत भरी सांस ली।

वहां सभी जाति और संप्रदाय के लोग देखे गए। धर्मनिरपेक्ष भारत वहां दिखाई दे रहा था। रेल प्लेटफार्म पर आ गई। सीट पाने के लिए लोग ऊपर-नीचे भाग रहे थे। कुली यात्रियों की मदद करने में व्यस्त थे। फेरीवाले अपनी आवाज़ में सबसे ऊपर चिल्ला रहे थे। बड़ी भीड़ थी। मेरे पिता ने मुझे आगे कर दिया और मैं अपनी सीट पर काबिज हो गयी। पापा ने मेरा सामान डिब्बे में रख दिया। जल्द ही रेल चल पड़ी। मैंने अपने पिता को प्रणाम कर जाने को कह दिया। फिर भी गाड़ी के दिखने तक वहीं खड़े रहे। गाड़ी के चलते ही मैंने अपने भाई को सूचित कर दिया कि गाड़ी चल दी है।

जल्द ही रेल ने रफ्तार पकड़ ली। बहुत जल्द हम हरे भरे खेतों से गुजर रहे थे। किसान अपने खेतों में काम कर रहे थे। वे खेतों की जुताई कर रहे थे। चरवाहे मवेशियों को चराने गए थे। बच्चे चलती गाड़ी को देखकर अलविदा (बॉय) कर रहे थे। हम कई छोटे और बड़े शहरों से गुजरे। रेल कई पुलों से गुजरी। पेड़ पीछे की ओर भागते हुए दिख रहे थे। पृथ्वी गोल घूमती हुई प्रतीत हो रही थी। आसमान में बादल छाए हुए थे। दृश्य बहुत अच्छा लग रहा था।

हमारी रेल तेजी से आगे बढ़ रही थी। यह छोटे स्टेशनों पर नहीं रुका। यह कानपुर पहुंचा। रात हो चुकी थी। यहाँ मैंने चाय वाले को बुलाकर उससे चाय खरीदी। रात में भी लोंगो का आवागमन जारी था, इसलिए सोने में परेशानी हो रही थी। फिर मैं कान में हेडफोन लगाकर फिल्म देखने में व्यस्त हो गयी। यह सहारनपुर में रुक गया। मेरी कब आंख लगी, पता ही नहीं चला और सुबह भी हो गयी। हम सुबह 9 बजे के करीब दिल्ली पहुंच गये थे। मेरे भईया पहले से ही मेरा इंतजार कर रहे थे। उन्होंने मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया। दिल्ली रेलवे स्टेशन बहुत बड़ा है। हमने एक ऑटो रिक्शा लिया और घर के लिए रवाना हो गए।

रेल से यात्रा करना सबसे सस्ता और आरामदायक है। मैंने हमेशा अपने माता-पिता के साथ यात्रा की है। परंतु इस बार अकेले यात्रा करने का प्रथम अनुभव था। चूँकि प्रारंभ में बहुत डर भी लग रहा था और मेरे पिता जी भी नहीं चाहते थे कि मैं अकेले इतनी दूरी की यात्रा करूं, बेशक सुरक्षा कारणों के वजह से। सही भी है, आजकल का परिवेश लड़कियों के लिए उपयुक्त नहीं है, फिर भी मैंने अपने डर पर विजय पाने के लिए ऐसे यात्रा करने का संकल्प लिया। और यह सफर काफी अच्छा और परिवर्तनकारी रहा।

Essay on Train Journey

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रेल यात्रा पर निबंध- Train Journey | Rail Yatra Par Nibandh | Essay

In this article, we are providing an Train Journey | Rail Yatra Par Nibandh रेल यात्रा पर निबंध हिंदी में | Essay in 100, 150. 200, 300, 500 words For Students. Train Journey Essay in Hindi

रेल यात्रा पर निबंध- Train Journey | Rail Yatra Par Nibandh | Essay

A short Essay on Train Journey in Hindi ( 150 words )

गरमी की छुट्टियों में हमने मुंबई जाना तय किया । यह एक दिन का रेलगाड़ी का सफर था ।

पिता जी टिकटें ले आए और हम सबने बहुत उत्साहपूर्वक अपना सामान बाँधा। हम टैक्सी द्वारा स्टेशन तक पहुँचे। कुली ने हमें भीड़ से निकालकर हमारी रेलगाड़ी तक पहुँचाया। हमारी आमने-सामने की ही सीटें थीं। धीरे-धीरे रेल चलना शुरू हुई और छुक-छुक की आवाज़ आने लगी।

रेल की गति बढ़ी और बाहर की सभी चीज़ें तेज़ी से पीछे जाने लगीं। खेत, गाँव, कभी-कभी वाहन, आदमी, जानवर आदि झट से दिखाई पड़ते और फट से गायब हो जाते।

बीच-बीच में स्टेशन भी आए। हमनें कहीं से चाय और कहीं से कुछ खाने-पीने का सामान भी खरीदा। रात में सोते-सोते रेल के झूले बहुत अच्छे लगते थे। अगले दिन भी हम बाहर के दृश्यों पर मोहित होते रहे और कब मुंबई पहुँच गए, पता भी न चला।

Rail Yatra Par Nibandh | Essay ( 200 words )

सर्दी की छुट्टियाँ थीं। पहाड़ों में बर्फ़ कैसे गिरती है, मैं यह देखना चाहती थी। माँ ने मामा जी के यहाँ मसूरी जाने का प्रोग्राम बनाया।

पिता जी रेल की टिकट लाए। माँ ने सामान बाँधा । ऑटोरिक्शा में बैठ हम स्टेशन पहुँचे। रेलवे स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। कुली सामान इधर से उधर ढो रहे थे । ठेले वाले आवाज़ें लगाकर अपना-अपना सामान बेच रहे थे । भीड़ से निकलकर हम रेल में बैठे। रेल चली। धीरे-धीरे छुक-छुक की आवाज़ तेज़ होने लगी।

रेल ने अपनी गति बढ़ाई। पेड़ पीछे दौड़ रहे थे। कभी खेत आते, कभी गाँव। सब पीछे छूट रहे थे। तेज़ हवा चल रही थी। कभी-कभी तो बाहर चलते आदमी भी दिखाई नहीं देते थे। कभी-कभी मुड़ते समय रेल हिलती, तो मैं डर जाती थी। कभी नीचे नदी या नाला आता तो रेल चींटी की चाल चलती। मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। बीच-बीच में स्टेशन आते। तरह-तरह की चीजें बेचने वाले आते। हम खाते-पीते मसूरी कब पहुँच गए, पता ही नहीं चला।

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रेल यात्रा पर निबंध- Rail Yatra Par Nibandh ( 250 words )

गर्मी की छुट्टी थी । हम सब नानी के घर दिल्ली जा रहे थे । हमने अपना सामान बांधा और स्टेशन पहुँचे । पिताजी ने पहले ही टिकट ले लिया था । हमारी रेल सामने ही लगी थी । हम अपनी सीट पर पहुँचे, अपना सामान लगाया और बैठ गए ।

हमारे आस-पास दूसरे लोग भी बैठे थे । थोड़ी देर बाद रेल चल पड़ी । स्टेशन पीछे छूट गया । रास्ते के पेड़-पौधे पीछे भागते से लग रहे थे । बाहर का दृश्य बहुत सुन्दर था । दूर तक हरियाली, जंगल और पहाड़ थे । रेल कभी छोटे गाँव से गुजरती । गाँव के बच्चे रेल देख खुश होते । टा-टा करते । रेल एक नदी के पुल से गुजरी । अजब-सा शोर हुआ। कुछ लोगों ने नदी में सिक्के फेंके ।

रेल स्टेशनों पर रुकती जाती। स्टेशन आते ही शोर होने लगता । लोग रेल पर चढ़ने-उतरने लगते । तरह-तरह की चीजें बेचनेवाला आता । खोमचेवाले आवाज लगाते । चाय चाय की पुकार मच जाती । हम तरह-तरह की चीजें खाते । पत्रिका बेचनेवाला भी आया । मैंने चाचा चौधरी का कॉमिक्स लिया । रेल फिर चल पड़ी । मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था ।

रात होते ही लोग सोने की तैयारी करने लगे। मैं भी खाना खाकर अपने बर्थ पर लेट गई । रेल बड़ी तेज भाग रही थी । मैं बर्थ पर लेटी हिल रही थी । लग रहा था किसी झूले पर हूँ। फिर मुझे नींद आ गई ।

सुबह माँ ने उठाया । हम दिल्ली पहुँच गए थे । हमने अपना सामान समेटा और उतर पड़े ।

मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध | Meri Pehli Rail Yatra par Nibandh ( 450 to 500 words )

यात्रा का अपना ही आनन्द होता है और फिर रेलयात्रा की तो बात ही कुछ और है। मैं अपनी प्रथम रेलयात्रा को आज तक नहीं भूल पाया हूँ। उस समय मेरी आयु नौ-दस वर्ष की थी जब मैंने सबसे पहले रेल से यात्रा की। इससे पहले मैं अपनी माताजी के साथ बस द्वारा तो कई बार आ जा चुका था। पिताजी जब अपनी रेल यात्रा का जिक्र किया करते थे तो मेरे मन में भी रेल यात्रा की तीव्र इच्छा पैदा हो जाती थी ।

उस वर्ष जब एक दिन पिताजी ने आकर बताया कि इस वर्ष गर्मियों की छुट्टियों में हम सब चेन्नई जा रहे हैं तो यह सुनकर मेरी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा। मार्च मास में ही पिताजी ने सीटों का आरक्षण करवा लिया था क्योंकि बाद में टिकटों का मिलना असम्भव था। हमारी यह यात्रा तमिलनाडु एक्सप्रेस से थी। परीक्षा समाप्त होते ही हमने यात्रा की तैयारियाँ शुरू कर दीं। जिस दिन हमें जाना था उससे पहली रात तो मैं रेलयात्रा की उत्सुकता में सो भी नहीं सका । हमारी ट्रेन रात्रि के 10.30 बजे चलती थी। परन्तु मैं तो सन्ध्या होते ही स्टेशन चलने की जल्दी मचाने लगा था। 8.30 बजे हम थ्री-विलर से नई-दिल्ली स्टेशन के लिए चले। स्टेशन पहुँचकर वहाँ की इमारत तथा भीड़ देखकर मैं चकित रह गया । वहाँ कुलियों ने हमें घेर लिया। पिता जी ने एक कुली से समान उठवाया। हम प्लेटफार्म पर पहुँचकर अपने डिब्बे में जा पहुँचे। सामान ठीक से रखने के बाद हम आराम से अपने सीट पर बैठ गए।

पिताजी पानी की बोतल में ठण्डा पानी भर लाए। ठीक 10.30 बजे ट्रेन चल दी। थोड़ी ही देर में टी. टी महोदय ने आकर हमारी टिकट देखी। हमने अपनी-अपनी बर्थ पर अपने बिस्तर लगा लिए। मुझे नीचे की बर्थ मिली। मुझे नींद नहीं आ रही थीं, परन्तु मैं कब सो गया मुझे पता नहीं चला। सुबह जब मेरी आँख खुली तो हमारी ट्रेन हरे-भरे खेतों के बीच से गुजर रही थी। ऐसे लगता था मानो खेत और पेड़ चल रहे हों। यह दृश्य बड़ा ही मोहक था। हमने उठकर हाथ-मुँह धोया । तभी ट्रेन में ही गरमा-गरम नाश्ता कॉफी मिल गई। मुझे रेल में बैठकर नाश्ता करना बड़ा अच्छा लग रहा था। पिताजी ने दोपहर तथा रात के खाने का ऑर्डर भी दे दिया। हमें ट्रेन में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई। यह ट्रेन बहुत कम स्टेशनों पर रुकती थी। जहाँ कहीं रुकती पिता जी नीचे उतरकर हमारे लिए कुछ न कुछ ले आते। मैं अपने साथ कहानियों की दो पुस्तकें भी ले गया था, जिन्हें मैंने रेल में ही पढ़ लिया। तीसरे दिन द्रोपहर को हम चेन्नई पहुँच गए। यह थी मेरी प्रथम रेल यात्रा ।

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दोस्तों इस लेख के ऊपर Rail Yatra Par Nibandh ( रेल यात्रा पर निबंध   ) आपके क्या विचार है? हमें नीचे comment करके जरूर बताइए।

Essay on Train Journey in Hindi ‘ ये हिंदी निबंध class 4,5,7,6,8,9,10,11 and 12 के बच्चे अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते है। यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

Meri Pratham Rail Yatra par Nibandh

Rail Yatra essay in hindi

10 lines on Train Journey

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Rail Yatra Essay

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दा इंडियन वायर

रेल यात्रा पर निबंध

railway journey essay in hindi

By विकास सिंह

train journey essay in hindi

विषय-सूचि

रेल यात्रा पर निबंध, short essay on train journey in hindi (200 शब्द)

ट्रेन की यात्रा सबसे सुखद यात्राओं में से एक है। मैं अक्सर लंबी दूरी की यात्रा करता हूं और बसों, ट्रेनों के साथ-साथ हवाई जहाज से भी यात्रा करता हूं। जबकि इनमें से प्रत्येक यात्रा के अपने फायदे हैं, मुझे व्यक्तिगत रूप से ट्रेन यात्राएं पसंद हैं।

यदि आपके पास पर्याप्त समय है और लंबी दूरी तय करनी है तो ट्रेन से यात्रा करना सबसे अच्छा है। यह परिवहन का एकमात्र साधन है जो आपको यात्रा के दौरान आराम से सोने की अनुमति देता है। मैं रात में यात्रा करना पसंद करता हूं। मैं अपनी यात्रा के दौरान आराम से ट्रेन में सो सकता हूं और अपनी आधिकारिक यात्राओं के दौरान काम करने के लिए ताजा और सिर जगा सकता हूं।

ट्रेन से मेरी सबसे यादगार यात्रा तब हुई थी जब मैंने पिछले साल दिल्ली से लखनऊ की यात्रा की थी। मैं लखनऊ में अपने रिश्तेदारों से मिलने गया था। इस ट्रेन यात्रा के दौरान, मैं कॉलेज के छात्रों के एक समूह से मिला। समूह जीवंत, हंसमुख और बेहद मिलनसार था।

जैसाकि मैं उनके पास बैठा था, उन्होंने मुझे कुछ स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक की पेशकश की। वे जल्द ही मुझसे बातचीत करने लगे। उन्होंने अपने कुछ अनुभव सुनाए और मैंने उन्हें साझा किया। मैंने उन्हें करियर सलाह भी दी। छह घंटे की यात्रा बहुत तेजी से गुजरी और हम लखनऊ पहुँचे। जैसा कि हमने भाग लिया, हमने अपने फोन नंबरों का आदान-प्रदान किया और संपर्क में रहने का वादा किया।

रेल यात्रा पर निबंध, train journey essay in hindi (300 शब्द)

train journey

प्रस्तावना :

ट्रेन का सफर हमेशा मजेदार होता है। उन्होंने हमेशा मुझे उत्साहित किया है। मैं बचपन से ही ट्रेनों से यात्रा कर रहा हूं। मेरे नाना कानपुर में रहते थे और हम दिल्ली में ही रहते थे। हम हमेशा कानपुर पहुंचने के लिए रात की ट्रेन से यात्रा करते थे। हमने साल में दो बार उनसे मुलाकात की और मैं वास्तव में इस यात्रा का इंतजार कर रहा था।

मैं इंतज़ार इसलिए नहीं क्र रहा था की  मैं अपने दादा-दादी से मिलना पसंद करता था, बल्कि इसलिए  क्योंकि मुझे ट्रेन की यात्रा बहुत पसंद थी। मेरी बहन इसे बहुत पसंद करती थी और साथ में हम बहुत मस्ती करते थे।

मेरी सबसे यादगार ट्रेन यात्रा :

हम अपनी गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों के दौरान ज्यादातर अपनी माँ के साथ वहाँ जाते थे। हालाँकि, एक बार मेरी चाची और चचेरे भाई भी हमारे साथ थे। यह मेरे जीवन की सबसे अच्छी ट्रेन यात्राओं में से एक थी। हमारी माँ ने हमारे लिए जो स्वादिष्ट बिरयानी खाई थी उसके बाद हम सबसे ऊपर की बर्थ पर बैठ गए थे।

हमने पहले ही योजना बना ली थी कि हम एक-दूसरे की कंपनी में यात्रा का आनंद लेने के लिए देर रात तक जागेंगे। हमने ताश खेलकर मस्ती शुरू की। जैसे ही हमने एक खेल समाप्त किया या दो, मध्य बर्थ में बैठे दो लड़कों ने हमसे पूछा कि क्या वे हमसे जुड़ सकते हैं। जब अधिक संख्या में खिलाड़ी शामिल होते हैं तो ताश खेलना हमेशा मजेदार होता है।

तो, हम सहमत हुए। हमारा खेल और अधिक रोमांचक हो गया और हम लगभग दो-तीन घंटे तक खेलते रहे। चूंकि हमारे डिब्बे में केवल हम और उन दो भाइयों और उनके माता-पिता का कब्जा था, इसलिए लाइट बंद करने का कोई उपद्रव नहीं था।

ताश खेलने के बाद, हमने गूंगे चरवाहों का खेल शुरू किया। यह सब और मजेदार था। चूंकि, अब हम लगभग चार घंटे खेल रहे थे, हमें भूख लगी और यह नाश्ते का समय था। हमने चुपके से अपने बैग से चिप्स और बिस्कुट निकाले। हम चटखारे लेते, चुटकुले सुनाते और दिल खोलकर हँसते थे जैसे कि हम नाश्ता खाते हैं। रात के लगभग 2 बज रहे थे जब हमने सोने का फैसला किया।

निष्कर्ष :

यह वास्तव में एक शानदार अनुभव था। मैं इस रेल यात्रा को जीवन भर याद रखूंगा। मैंने यादों को हमेशा के लिए संजो कर रख दिया।

रेल यात्रा पर निबंध, train journey essay in hindi (400 शब्द)

train journey

यह सितंबर का महीना था और शरद ऋतु का विराम कुछ ही हफ्तों में शुरू होने वाला था। हमारी पहली अवधि की परीक्षाएं समाप्त हो चुकी थीं और हम कम से कम कुछ दिनों के लिए पढ़ाई के बोझ से मुक्त थे। हमारे स्कूल में शरद ऋतु की छुट्टी के दौरान विभिन्न स्थानों पर भ्रमण की योजना है। मैं हमेशा से ऐसी यात्रा पर जाना चाहता था और अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता था।

दोस्तों के साथ मेरी पहली ट्रेन यात्रा :

जबकि मेरे माता-पिता ने मुझे स्थानीय स्कूल के भ्रमण पर जाने की अनुमति दी थी, वे हमेशा मुझे बाहर तैनात यात्राओं पर भेजने के बारे में संदेह करते थे। उन्हें लगा कि मैं बहुत छोटा और लापरवाह हूं और इस तरह मुझे भेजने में उन्हें अक्सर डर लगता है।

मैंने उन्हें हर साल समझाने की कोशिश की मैंने नोटिस बोर्ड पर चिपकाए गए इन स्कूल ट्रिप के बारे में नोटिस किया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हालाँकि, सातवीं कक्षा में बहुत समझाने के बाद, मेरी माँ ने वादा किया कि जब मैं कक्षा IX में पहुँचूँगी तो वह मुझे भेज देगी क्योंकि मैं बड़ी हो जाऊँगी और तब तक और अधिक परिपक्व हो जाऊँगी।

इसलिए, पिछले साल मैंने उसे अपना वादा याद दिलाया। हालांकि अनिच्छुक, वह मुझे अपनी स्कूल यात्रा पर जयपुर भेजने के लिए तैयार हो गई। उसने मेरे पिता को भी मना लिया और उसने यात्रा के लिए जमा की गई राशि के साथ लिखित सहमति दे दी। मेरी खुशी कोई सीमा नहीं जानता था।

मेरे करीबियों में से कुछ को उनके माता-पिता से भी सहमति मिली थी और हम अपनी यात्रा को लेकर बहुत रोमांचित थे। मैं न केवल जयपुर जाने के बारे में बल्कि ट्रेन यात्रा के बारे में भी उत्साहित था।

मेरी ट्रेन यात्रा का अनुभव :

मैं भाग्यशाली था कि मुझे विंडो सीट मिली। यह लगभग 5 घंटे की एक दिन की यात्रा थी और खिड़की के बाहर देखने के लिए बहुत कुछ था। छोटी रेत की पहाड़ियों, हरे-भरे खेतों और लंबी सड़कों का नजारा मुझे रोमांचित करता था और मैं यात्रा के अधिकांश भाग के लिए खिड़की से चिपके रहता था।

बाकी की यात्रा के लिए, हमने गूंगा चराड और अंताक्षरी खेली जो सुपर मजेदार थी। मैं बस कामना करता हूं कि यात्रा कभी खत्म न हो। हालाँकि, इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, हम जयपुर स्टेशन पहुँच गए। जैसा कि मैंने गुलाबी शहर में किले से किले तक घूम लिया, मैंने अपने गृह नगर में ट्रेन यात्रा का सपना देखा क्योंकि मैंने ट्रेन की सवारी का पूरा आनंद लिया। हमारी ट्रेन यात्रा वापस घर पर उतनी ही मजेदार थी।

ट्रेन के सफर ने मुझे हमेशा रोमांचित किया। मैं उनमें से काफी पर चला गया हूं, लेकिन यह सब मेरे दोस्तों के साथ था के रूप में अधिक विशेष था। मैं इस तरह की और रेल यात्राओं के लिए उत्सुक हूं।

रेल यात्रा पर निबंध, train journey experience essay in hindi (500 शब्द)

ट्रेन के सफर ने मुझे हमेशा रोमांचित किया। दिन की यात्रा हो या रात की यात्रा, मैं हमेशा ट्रेन से यात्रा करना पसंद करता हूं। ट्रेन से अपने दिन के सफर के दौरान, मुझे खिड़की से बैठकर बाहर का नज़ारा देखना बहुत पसंद है। मुझे बस हरे-भरे खेत, विशाल पेड़, झोपड़ियाँ और जल-प्रपात दिखाई पड़ते हैं।

मैं चलती ट्रेन से इस नज़ारे को देखने के लिए घंटों बैठ सकता हूँ। रात की यात्रा के बारे में मुझे क्या पसंद है कि ट्रेनें बहुत अधिक स्थान और आराम प्रदान करती हैं। हम आराम से लेट सकते हैं और सोने के लिए रुक सकते हैं। चलती ट्रेन में सोना अपने आप में एक अनुभव है और मुझे इससे प्यार है।

मेरी शिमला से कालका तक की रेल यात्रा :

जबकि मेरी सभी रेल यात्राएँ यादगार रही हैं, एक ऐसा है जिसे मैं हमेशा के लिए संजो कर रखूँगा। यह शिमला से कालका तक मेरी ट्रेन यात्रा थी। ट्रेन का यह सफर किसी और जैसा नहीं था।

हमने शिमला – कालका ट्रेन यात्रा के बारे में बहुत कुछ सुना था और वास्तव में इसका अनुभव करना चाहते थे। कहा जाता है कि यह ट्रेन यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में आती है। हालाँकि, चूंकि हमारी योजना अचानक बनी थी, इसलिए हम कालका से शिमला की यात्रा के लिए टिकट नहीं पा सके, जो निराशाजनक था।

सबसे पहले, हमने यात्रा को रद्द करने या स्थगित करने के बारे में सोचा लेकिन फिर हमने शिमला के लिए बस लेने का फैसला किया। शिमला से कालका के लिए टिकट उपलब्ध थे, इसलिए हमने इस मार्ग पर चलने वाली टॉय ट्रेन के बारे में अपनी यात्रा की वापसी की बात की।

जब मैं शिमला की अपनी यात्रा को लेकर उत्साहित था और अपने परिवार के साथ इसका हर तरह से आनंद लेता था, मैं लगातार अपनी यात्रा के बारे में घर वापस आने का सपना देख रहा था, क्योंकि मैं टॉय ट्रेन के अनुभव का इंतजार नहीं कर सकता था।

मेरी बहुत बढ़िया ट्रेन यात्रा का अनुभव :

हम ट्रेन के प्रस्थान समय से कुछ मिनट पहले स्टेशन पहुँच गए। मैं ट्रेन को देखकर रोमांचित था और उस पर सवार होने की प्रतीक्षा नहीं कर सकता था। हमने जल्दी ही अपना सामान ट्रेन में रख दिया और अपनी सीट पर बैठ गए। बाहर की मनोहारी दृश्य देखने के लिए मैंने खिड़की वाली सीट पकड़ ली।

जैसे ही ट्रेन शुरू हुई, मैंने देखा कि चीड़ के पेड़ों से ढकी पहाड़ियों का दिलकश नज़ारा है। चारों तरफ हरियाली थी। एक रात पहले बारिश हुई थी और इस तरह वनस्पतियों को भी हरियाली और ताजा लग रही थी। यह एक लुभावनी दृष्टि थी।

टॉय ट्रेन 96 किमी की दूरी तय करती है और इस यात्रा के दौरान जब हम ऊब गए तो एक भी क्षण नहीं था। देखने और अनुभव करने के लिए बहुत कुछ था। ट्रेन धीमी गति से यात्रा करती है और कालका पहुंचने में लगभग 5-6 घंटे लगते हैं ताकि हम प्राकृतिक परिवेश का पूरा अनुभव कर सकें।

यह 102 सुरंगों से होकर जाता है और यह यात्रा को और अधिक अद्भुत बनाता है। यह 864 पुलों के रूप में भी गुजरता है और एक अनुभव प्रदान करता है जो एक तरह का है। जब मैं अपनी यात्रा के अधिकांश भाग के लिए खिड़की से बैठ गया, तो मैं भी गया और ट्रेन के दरवाजे से लगभग एक घंटे तक खड़ा रहा।

शिमला से कालका तक की मेरी हर रेल यात्रा सुखद रही। अनुभव बस बेजोड़ था। प्रत्येक ट्रेन यात्रा प्रेमी को अपने जीवन काल में कम से कम एक बार इसका अनुभव करना चाहिए। प्रकृति प्रेमियों को यह सब अधिक पसंद आएगा।

रेल यात्रा के बारे में निबंध, train journey experience essay in hindi (500 शब्द)

train journey

ट्रेन की यात्रा को वे कई तरह के लाभों के कारण पसंद करते हैं। हालांकि, कुछ लोग ट्रेन के सफर से बचने के लिए अपने वाहन या बस से यात्रा करना ज्यादा पसंद करते हैं। कई बार, परिवहन के मोड को तय करना काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि इन सभी के पास पेशेवरों और विपक्षों का अपना सेट होता है। ट्रेन यात्रा के विभिन्न फायदों और नुकसानों पर एक नजर:

ट्रेन के सफर के फायदे :

ट्रेन यात्रा के विभिन्न फायदे इस प्रकार हैं:

अंतरिक्ष और आराम :

अगर हम अंतरिक्ष और आराम की दृष्टि से देखें तो ट्रेन परिवहन का सबसे अच्छा साधन है। बैठने और यहां तक ​​कि लेटने के लिए पर्याप्त जगह है, एक विशेषाधिकार जो हमें बसों, कारों या विमानों में नहीं मिलता है। बच्चे आसानी से बोर्ड गेम खेल सकते हैं। समूह की सैर सभी अधिक मजेदार हो जाती है क्योंकि हम विभिन्न खेलों और गतिविधियों का आमने-सामने बैठकर आनंद ले सकते हैं।

लॉन्ग जर्नी मेड ईज़ी :

चूंकि रेलगाड़ियां सोने और धोने के लिए बर्थ की पेशकश करती हैं, इसलिए ट्रेनों के माध्यम से लंबी दूरी की यात्रा करना काफी आसान हो जाता है। वाशरूम सुविधा विशेष रूप से बस और कार की यात्रा के दौरान ट्रेन के मुख्य लाभों में से एक है।

सामान की मात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं :

हवाई जहाज में एक सामान ले जाने की सीमा होती है। बहुत सारे सामान को समायोजित करने के लिए बसों में पर्याप्त जगह नहीं है। हालांकि, ट्रेन के सफर के दौरान ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। यदि आपको अच्छी मात्रा में सामान ले जाने की आवश्यकता है, तो ट्रेन यात्राएं निश्चित रूप से सर्वश्रेष्ठ हैं।

सुरक्षित विकल्प :

ट्रेन को बसों, कारों और हवाई जहाजों की तुलना में सुरक्षित साधन माना जाता है। पहाड़ियों में यात्रा करना विशेष रूप से बसों और कारों की तुलना में ट्रेनों के माध्यम से सुरक्षित है।

समय के उत्पादक उपयोग की अनुमति देता है :

ट्रेन से यात्रा करते समय आप आसानी से अपना लैपटॉप निकाल सकते हैं और उस पर काम कर सकते हैं। आप अपनी पुस्तक को आराम से पढ़ सकते हैं या ट्रेन से यात्रा करते समय बुनाई और सिलाई जैसे अन्य कार्यों में लिप्त हो सकते हैं।

ट्रेन यात्रा के नुकसान :

ट्रेन यात्रा के कुछ नुकसान इस प्रकार हैं:

आगे की योजना बनाना :

ट्रेन से यात्रा करने की मुख्य कठिनाइयों में से एक यह है कि आपको यात्रा की तारीख से पहले अपनी यात्रा महीनों या हफ्तों की योजना बनानी होगी। जिन यात्राओं की तुरन्त योजना बनाई जाती है, उनके लिए रेल टिकट प्राप्त करना कठिन है।

आरक्षण में कठिनाई :

ट्रेन आरक्षण एक मुश्किल काम है। आपको टिकट आरक्षित करवाने के लिए रेलवे स्टेशन पर जाना पड़ता है और घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है जो बेहद थका देने वाला होता है। आप टिकट आरक्षित ऑनलाइन भी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन यह फिर से एक कठिन काम है क्योंकि ट्रेन बुकिंग साइट बहुत धीमी होती है।

निश्चित कार्यक्रम :

ट्रेनें तय समय पर चलती हैं। आपको विषम समय में ट्रेनों को पकड़ने की आवश्यकता हो सकती है और यह कई बार मुश्किल हो सकता है। कुछ मिनटों तक रेलवे स्टेशन तक पहुँचने में देरी का मतलब है ट्रेन का गुम होना और अगर आप जल्दी पहुँच गए तो रेलवे स्टेशन पर समय बिताना मुश्किल है।

धीमी विकल्प :

ट्रेन से लंबी दूरी की यात्रा करने का मतलब है कि यात्रा में एक या दो दिन का निवेश उन विमानों के विपरीत है जो कुछ ही घंटों में समान दूरी तय कर सकते हैं। इसलिए यह उन छात्रों या कामकाजी पेशेवरों के लिए अच्छा विकल्प नहीं है जो इतने पत्ते नहीं ले सकते हैं और यात्रा पर इतना समय बिताते हैं।

स्वच्छता का मुद्दा :

जबकि ट्रेनों के वॉशरूम होते हैं, जिन्हें ट्रेन के सफर का एक बड़ा हिस्सा माना जाता है, जिन्हें ज्यादातर अच्छी तरह से बनाए नहीं रखा जाता है। बिना रखे और अशुद्ध वॉशरूम एक बड़ा पुट है। इनके उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि यह संक्रमण का कारण बन सकता है।

इस प्रकार, हम देखते हैं कि ट्रेन की यात्रा के कई फायदे हैं लेकिन उनके कुछ नुकसान भी हैं। जबकि जगह, आराम और पर्याप्त मात्रा में ले जाने की सुविधा यात्रियों को ट्रेन की यात्रा के लिए विकल्प, आरक्षण की कठिनाई और यात्रा की तारीख से पहले यात्रा की योजना बनाने की आवश्यकता के लिए आकर्षित करती है, जिससे वे अन्य विकल्पों की तलाश कर सकते हैं।

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इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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रेल यात्रा पर निबंध – Train Journey Essay In Hindi [600 Words]

आज में आपके लिए रेल यात्रा पर निबंध (Train Journey Essay In Hindi ) लेकर आया हूँ. मैंने इस निबंध में अपनी रेल यात्रा का वर्णन किया है. अगर आपने कभी ट्रेन से यात्रा की है तो इस निबंध को पढ़कर आप आसानी से अपनी यात्रा के बारे में बता सकते हैं. स्कूल और कॉलेज की परीक्षाओं में कई बार रेल यात्रा पर निबंध (Essay on train journey in Hindi) लिखने को कहा जाता है.

भूमिका – चेन्नई जाने का कार्यक्रम – रेलवे स्टेशन का दृश्य – यात्रा का अनुभव – उपसंहार

यात्रा करने के लिए मनुष्य की अभिरुचि प्रारम्भ से ही रही है. प्रारम्भ में जब यातायात के साधनों का विकास नहीं हुआ था तब अधिकतर लोग पैदल ही दूर प्रदेशों की यात्रा करते थे. चीनी यात्री ह्यूनसांग और फाहियान पैदल ही भारत की यात्रा पर आये थे. इसी प्रकार गुरु नानक तथा अन्य संत महापुरुषों ने पैदल ही यात्राएं कीं. आधुनिक युग में द्रुतगामी यातायात के साधनों का विकास हो चुका है. विभिन्न साधनों में रेल यात्रा एक सुगम व आराम प्रद यात्रा है. में बसों से कई बार दूर-दूर तक की यात्रा कर चुका हूँ लेकिन मुझे रेल से यात्रा करने का अवसर कभी नहीं मिला था. इस बार की यात्रा मैंने रेल द्वारा की जो मेरी प्रथम रेल यात्रा थी.

चेन्नई जाने का कार्यक्रम

मेरे पिताजी एक सरकारी कर्मचारी हैं. उन्हें छुट्टियों में यात्रा पर जाने के लिए सरकार से भत्ता मिलता है. इस वर्ष ग्रीष्मवकाश में हमने किसी बड़े शहर की यात्रा करने का आयोजन किया. मैंने अपने घर वालों को इस साल चेन्नई जाने की सलाह दी. मेरे पिताजी ने मेरी सलाह स्वीकृत कर ली. हमने रेल द्वारा चेन्नई जाने का निश्चय किया. रेल में जाने की रूचि मुझे बहुत पहले से ही थी क्योंकि इससे पूर्व मुझे अवसर नहीं मिला. इस बार रेल यात्रा करने का मेरा प्रथम अवसर था.

15 मई को स्कूल बंद होने पर 20 मई को हमने चेन्नई जाने का निश्चय किया. दूर जाने के लिए रेलगाड़ी में सीट पहले से ही आरक्षित हो जाते हैं इसलिए मेरे पिता जी ने चार सीटें 20 तारीख के लिए पहले से ही बुक करा दी थीं. परिवार में चार सदस्य हैं – माता-पिता, एक बहिन. अतः बहुत प्रतीक्षा करने के बाद 20 तारीख की वह तिथि आ ही गई. मैं खुशी से फुला न समा रहा था.  

rail yatra par nibandh

रेलवे स्टेशन का दृश्य

हम 20 मई को प्रातः आवश्यक सामान लेकर टैक्सी द्वारा नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए. वहां दृश्य कोलाहलपूर्ण था. यात्रियों की बहुत भीड़ थी. कोई बाहर आ रहा था. कोई अंदर जा रहा था. प्लेटफार्म पर बैठने के लिए बेंच लगे थे.  लोग उन पर बैठकर अपनी-अपनी गाड़ियों का इंतजार कर रहे थे. कई प्रतीक्षालय में लेटे या बैठे थे. लाल वेशधारी कुली सामान लेने के लिए इधर-उधर दौड़ रहे थे. प्लेटफॉर्मों पर नंबर लगे थे. कई गाड़ियां खड़ी थीं. कई गाड़ियां आ रही थीं, कई जा रही थीं.

प्रत्येक प्लेटफार्म पर घड़ी व ध्वनि प्रसारण यंत्र लगे हुए थे जिनके द्वारा यात्रियों को उनकी गाड़ियों के आने-जाने का समय व प्लेटफार्म नंबर बताया जा रहा था. हमारी गाड़ी को प्लेटफार्म नंबर 10 पर आना था. उसका समय प्रातः सात बजे का था. वह आज एक घंटा विलम्ब से आ रही थी, जिसकी सूचना ध्वनि प्रसारण द्वारा हमें मिल गई थी.

यात्रा का अनुभव

हमारी गाड़ी ठीक आठ बजे प्लेटफार्म नंबर 10 पर पहुंची. हमारी सीट आरक्षित थी. हम अपने निश्चित डिब्बे में निर्धारित सीट पर बैठ गये. उस समय दिल्ली से चढ़ने वालों की भीड़ काफी थी. सामान्य डिब्बे में तो इतनी भीड़ थी कि लोग चढ़ नहीं पा रहे थे. हमारा डिब्बा आरक्षित था उसमें कोई भीड़ नहीं थी. थोड़ी देर बाद रेल छुक-छुक करके स्टेशन से चल पड़ी. में खिड़की के पास बैठा था. में वहां से खिड़की से बाहर देखने का आनंद ले रहा था. कितनी अच्छी व चिर-स्मरणीय है रेल यात्रा. अभी हम भीड़ भरे स्टेशन पर हैं जहां काफी चहल-पहल, धक्का-मुक्की हो रही थी. क्षण भर बबाद हरे-भरे खेत, पल भर में गाँव के दृश्य, थोड़ी देर में जंगल, उसके बाद नदी, पुल आदि दिखाई दे रहे थे और हर क्षण में दृश्य बदलते जा रहे थे. मुझे उन दृश्यों को देख कर बड़ा आनंद आ रहा था. अंत में गाड़ी हमारे अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच गयी.  

यह हमारी यात्रा का भी उपसंहार था, चेन्नई स्टेशन आ गया था. दिल्ली की तरह चहल-पहल थी. कुली सामान के लिए लपक रहे थे. हमने कुली नहीं किया क्योंकि हमारे पास सामान थोड़ा था, जिसको हमने स्वयं उठाया और स्टेशन से बाहर आ गये. यह यात्रा मुझे सदा याद रहेगी.

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ये था रेल यात्रा पर निबंध(Essay on Rail Journey In Hindi). अगर आपने कभी ट्रेन से यात्रा की है, तो आपका अनुभव हमारे साथ जरूर साझा करें. यह निबंध आपके लिए सही रहा है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. मिलते है अगले एक नए निबंध में. धन्यवाद.

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मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध | Rail Se Pehli Yatra Essay In Hindi

प्रिय दोस्तों Rail Se Pehli Yatra Essay In Hindi के इस लेख में हम मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध के बारें में पढेगे.

बच्चों के लिए कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 वीं के स्टूडेंट्स रेल यात्रा पर निबंध का उपयोग कर सकते हैं. सरल भाषा में जीवन अनुभव पर आधारित ऐसे सवाल परीक्षा में भी पूछे जाते हैं.

Rail Se Pehli Yatra Essay In Hindi

मेरी प्रथम रेल यात्रा पर निबंध Rail Se Pehli Yatra Essay In Hindi

प्राचीनकाल में यात्राएं इतनी सुगम नहीं थीं. जितनी कि आज हैं. निसंदेह विज्ञान ने आज संसार को बहुत ही निकट ला दिया हैं.

यद्पि यात्राओं में कष्ट तो होता हैं. किन्तु नये स्थानों, प्राकृतिक दृश्यों तथा अनेक धार्मिक स्थानों के दर्शन से सारा कष्ट आनंद में बदल जाता हैं.

प्रस्थान: मुझे मई के आरम्भ में अजमेर की यात्रा करनी पड़ी. मैंने अपनी सीट आठ दिन पूर्व ही सुरक्षित करा ली थी. मैंने अजमेर जाने की तैयारियाँ कीं और जरुरी सामान लेकर स्टेशन पर आ गया.

रेलवे स्टेशन का वर्णन: टिकट घर पर सैकड़ों व्यक्ति पंक्तियों में खड़े टिकट ले रहे थे. कुछ लोग इस बात के लिए प्रयत्नशील थे कि टिकट शीघ्र मिल जाए.

इसलिए कभी कभी धक्का मुक्की हो जाती थी लेकिन पुलिस के सिपाही शांति बनाये रखने में प्रयत्न शील थे. स्टेशन पर बड़ी भीड़ थी.

प्लेटफोर्म पर मेला सा लगा हुआ था. लगभग रात के 12 बजे हमारी गाड़ी सवाई माधोपुर पर आई. भीड़ के कारण चढ़ने में कुछ परेशानियां आईं. थोड़ी देर में हमारी गाड़ी चल दी.

यात्रा का वर्णन: गाड़ी तेजी से चली जा रही थी. इधर हम पर निद्रा देवी ने अधिकार जमा लिया. प्रातः काल के 5 बजे थे, जयपुर थोड़ी दूर ही रहा होगा. कि मेरे साथी जागे और उन्होंने अपना सामान सम्भालना आरम्भ कर दिया. जयपुर पर वे लोग मुझसे विदा ले गये.

कुछ क्षणों के बाद उस स्थान पर अन्य यात्री आ गये तथा उनसे परिचय आरम्भ हो गया. प्रातःकाल का सुहावना समय था. शीतल मंद सुगंध हवा चल रही थी.

लगभग 9 बजे मैंने अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सुंदर एवं आकर्षक नगरी अजमेर में प्रवेश किया. गाड़ी के सामान उतारकर कुली पर रखवाकर प्लेटफोर्म के बाहर आया और धर्मशाला चला गया.

उपसंहार: रेल यात्रा में बड़े आनन्द आते हैं. नवीन दृश्यों से मन मोहित हो जाता हैं. अपरिचित व्यक्तियों से भेंट होती है. विभिन्न प्रकार की वेशभूषा, भाषा तथा बोलियों से परिचय होता हैं. इस प्रकार यात्रा करने से हमारा ज्ञान बढ़ता हैं.

मेरी पहली रेल यात्रा My First Train Journey in Hindi English

My First Train Journey Essay: 1st Journey or trip experience is different from daily routine. when we saw the first time train,

bus or airplane then what thought comes to mind. maybe many wishes but one of them must come when I do the First time Train Journey.

Essay on My First Train Journey I sharing with you the same as this my experience when I trip first time on the rail (train Journey).

Essay on My First Train Journey in Hindi And English providing for students who read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, etc.

  Essay on My First Train Journey in Hindi English मेरी पहली रेल यात्रा:

out of my many railway journeys, I remember the trip to Agra, this is my first My First Train Journey.

the last October we two friends made up our mind to visit the taj mahal. we started on 2nd October to enjoy our holiday. we reached New Delhi station by taxi. there was a great rush on the booking office.

somehow we managed to buy two tickets. at the new Delhi railway platform, we saw hawkers selling seats, fruits, toys, tea, and cigarettes. we got seats.

passengers had occupied me seats, the train started earlier. from the running train, we saw green fields on either side. taj express was gaining speed.

we played playing cards. we enjoyed jokes. we reached Agra railway station. time seemed passing quickly chit-chat. we drove straight to the taj mahal.

Essay on My First Train Journey in Hindi -मेरी पहली रेल यात्रा 

मेरी कई रेलवे यात्राओं में से, मुझे आगरा की यात्रा याद है, यह मेरी पहली पहली रेल यात्रा थी। पिछले अक्टूबर में हम दो दोस्तों ने ताज महल जाने के लिए अपना मन बना लिया।

हमने अपनी छुट्टी का आनंद लेने के लिए 2 अक्टूबर को हमारा आगरा सफर शुरू किया। हम टैक्सी द्वारा नई दिल्ली स्टेशन पहुंचे। बुकिंग कार्यालय पर बड़ी भीड़ थी।

किसी भी तरह हम दो टिकट खरीदने में कामयाब रहे। नई दिल्ली रेलवे प्लेटफार्म में, हमने सीट, फल, खिलौने, चाय और सिगरेट बेचने वाले से हमने कुछ खाने पीने का सामान लिया और हमारी गाड़ी की ओर चल पड़े।

हमें जाते ही डिब्बे में सीटें मिल गई. हालांकि कई यात्रियों ने ट्रेन के शुरू होने से पूर्व ही सीटों पर कब्जा कर रखा तथा. इसी बीच हम भी एक सीट बचाने में कामयाब रहे.

धीरे धीरे हमारी ताज एक्सप्रेस स्पीड पकड़ रही थी. हरे हरे खेतों व पहाड़ों के मनोरम द्रश्य लगातार हमसे पीछे छुट रहे थे.।

समय बिताने के लिए हमने कार्ड्स का गेम खेला तथा मेरे दोस्त ने कुछ चुटकले भी सुनाये. बातों ही बातों में वक्त कैसे गुजर गया, पता ही नही चला. अब हम आगरा रेलवे स्टेशन पहुच चुके थे. बाद में हम ताजमहल की तरफ रवाना हो गये.

Rail Yatra Essay In Hindi

कहा जाता हैं कि यदि भारत की सैर करनी हो तो सबसे सस्ता एवं सुलभ साधन रेल के सिवाय और दूसरा नहीं हैं. रेल भारत की सबसे अच्छी एवं विविधतापूर्ण तस्वीर प्रस्तुत करती हैं.

रेल यात्रा के महत्व एवं पर्यटन से इसके सीधे सम्बन्ध को देखते हुए भारतीय रेलवे समय समय पर विशेष प्रकार की रेलगाड़ियों का परिचालन करवाती हैं.

कुछ ऐसी भी रेलगाड़ियाँ हैं जो अपनी विशेषता के लिए विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. डेक्कन ओडिसी, पैलेस ओन व्हील्स, हेरिटेज ओन व्हील्स, महाराजा एक्सप्रेस, फेयरी क्वीन एवं रॉयल राजस्थान ओन व्हील्स कुछ ऐसी ही रेल गाड़ियाँ हैं.

इन सबके अतिरिक्त दार्जलिंग में चलने वाली टॉय ट्रेन भी पर्यटन के दृष्टिकोण से विशेष महत्व रखती हैं. रेलवे को भारत की जीवन रेखा कहा जाता हैं. किसी न किसी उद्देश्य से प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी रेलगाड़ी से यात्रा करनी ही पड़ती हैं.

रेल यात्रा के कई लाभ हैं. इसके माध्यम से लम्बी दूरी को कम समय में तय किया जा सकता है. यह बस से यात्रा करने की अपेक्षा काफी सस्ती होती हैं.

लम्बी दूरी का सफर बस से तय करना काफी कष्टप्रद होता हैं, जबकि रेलगाड़ी में लम्बी दूरी के सफर को देखते हुए शौचालय के साथ साथ अन्य कई प्रकार की सुविधाएँ होती हैं, जिससे यात्री लाभान्वित होता हैं.

यदि सपरिवार यात्रा करनी हो तो रेल के अलावा दूसरा कोई बेहतर विकल्प दिखाई नहीं पड़ता. इस तरह रेलगाड़ी से यात्रा करने से न केवल समय की बचत होती हैं, बल्कि धन की बचत भी होती हैं एवं यात्रा सुविधाजनक भी होती हैं.

रेल यात्रा के कई फायदे हैं, तो इसके साथ ही कभी कभी कुछ ऐसी घटनाएं भी जुड़ जाती हैं, जो इस यात्रा को काफी दुखद बना देती हैं. पिछले कुछ वर्षों में रेलगाड़ियों में विभिन्न प्रकार के अपराधों में वृद्धि हुई हैं.

जहरखुरानी गिरोहों द्वारा यात्रियों को नशीला पदार्थ खिलाकर उनसे लूटपाट, हिंसा इत्यादि के कारण भारत में रेल यात्रा कभी कभी दुखद बन जाती हैं.

कुछ यात्री जबर्दस्ती आरक्षित सीटों पर कब्जा कर लेते हैं, जिससे अन्य यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. बिना टिकट यात्रा करने वालों के कारण रेलवे को तो घाटा होता ही हैं,

ये लोग अन्य यात्रियों को भी बिना वजह परेशान करते रहते हैं. इसके अतिरिक्त रेलगाड़ियों में भीख मांगने वालों की संख्या में भी दिन प्रतिदिन वृद्धि होना चिंता का विषय हैं.

रेलों में चाय या अन्य सामान बेचने वाले लोग भी यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं. इन घटनाओं के कारण रेल यात्रा दुःखद हो जाती हैं.

इन सबके अतिरिक्त रेलगाड़ियों का देर से परिचालन भी रेल यात्रा का एक दुखद पहलू हैं. कभी कभी डिब्बे के गेट पर खड़े होने वाले कुछ यात्री भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं.

किन्तु यदि कुछ सावधानी बरती जाएं, तो इन परेशानियों से काफी हद तक बचा जा सकता हैं. रेल यात्रा को सुखद बनाने के लिए पहले ही सीट आरक्षित करवा लेनी चाहिए.

यात्रा के दौरान किसी अजनबी से खाने पीने की सामग्री नहीं लेनी चाहिए. किसी प्रकार की संदेहास्पद वस्तुओं की स्थिति में रेलवे को सूचित करना चाहिए.

किसी भी व्यक्ति से किसी प्रकार की अनावश्यक बहस से जहाँ तक हो सके बचना चाहिए. ट्रेन आने के नियत समय से पहले प्लेटफार्म पर पहुँच जाना चाहिए.

रेल में सवार होने से पहले टिकट की भली भांति जांच कर लेनी चाहिए. जिस डिब्बे की सीट आरक्षित हो उसी डिब्बे में सवार होना चाहिए.

डिब्बे के गेट पर यात्रा नहीं करनी चाहिए. शरीर का कोई भी अंग खिड़की से बाहर नहीं निकलना चाहिए, यदि बच्चे साथ हो तो उनका विशेष ख्याल रखने की आवश्यकता होती हैं.

उन्हें कभी भी अपने से अलग नहीं करना चाहिए. यात्रा के दौरान खाने पीने के सामानों का भी उचित प्रबंध करके चलना चाहिए. इन बातों का ध्यान रखकर अपनी रेल यात्रा को सुखद बनाया जा सकता हैं.

भारतीय रेल के इतिहास पर नजर डालें तो भारत में रेलवे की शुरुआत 1853 में की गई थी. तब से लेकर अब तक इसमें कई प्रकार के परिवर्तन किये गये है और आज भारतीय रेलवे का दुनिया में एक विशेष स्थान हैं. इस समय भारत में कई प्रकार की रेलगाड़ियां चलाई जाती हैं.

मेल एवं एक्सप्रेस रेलगाड़ियों के अतिरिक्त पर्यटन के लिए विशेष रेलगाड़ियाँ भी चलाई जाती हैं. पैसेंजर रेलगाड़ियाँ महानगरों की जीवन रेखा का कार्य करती हैं

महानगरों के अतिरिक्त भी कुछ क्षेत्रों में पैसेन्जर रेलगाड़ियों का परिचालन किया जाता हैं इन सबके अतिरिक्त राजधानी एक्सप्रेस, गरीब रथ जनशताब्दी एक्सप्रेस शताब्दी एक्सप्रेस इत्यादि कुछ विशेष प्रकार की भारतीय रेलगाड़ियाँ हैं.

वैसे तो हर प्रकार की यात्रा आनन्ददायक होती हैं, किन्तु रेल यात्रा का अपना अलग ही आनन्द हैं. इसलिए लोग रेल से की गई अपनी यात्रा को कभी भी भूलते नहीं. यदि यह यात्रा लम्बी हो और किसी विशेष रेल मार्ग पर तय की गई हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता हैं.

मुझे तो वर्ष में प्रायः हर महीने रेल से यात्रा करनी ही पड़ती हैं. इनमें से दिल्ली से शिमला मेरी एक ऐसी भी रेल यात्रा हैं, जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता. उस दिन मैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचकर अपनी ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहा था. तय समय पर मेरी ट्रेन पहुँच गई.

मैं निर्धारित डिब्बे में अपने सामान के साथ सवार हो गया. मेरे साथ मेरे दो मित्र भी थे. थोड़ी देर बाद सिटी बजाते हुए ट्रेन चल पड़ी. ट्रेन के चलने के बाद हम आपस में बातें करने लगे. मैं खिड़की के पास बैठा था. ट्रेन की खिड़की के पास बैठने का भी अपना एक अलग ही मजा होता हैं.

खिड़की के बाहर झांकते हुए पेड़ पौधों को देखना काफी आनन्ददायक होता हैं. कुछ देर बाद हम लोगों ने मिलकर खाना खाया. रेलगाड़ी के हिमाचल प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने के बाद पहाड़ों का अप्रितम सौन्दर्य वास्तव में देखने लायक था.

बड़े बड़े खूबसूरत पेड़ चलती ट्रेन से और भी खूबसूरत नजर आ रहे थे. पहाड़ों का सौन्दर्य भी बढ़ा हुआ प्रतीत होता था. ट्रेन कई स्टेशनों पर रूकते हुए जा रही थी.

हर स्टेशन पर अपना एक अलग ही रूप रंग दिखाई पड़ता था. किसी स्टेशन की कोई चीज मशहूर होती, तो किसी अन्य स्टेशन की कोई अन्य चीज.

नया स्टेशन आते ही लोग आपस में इन्ही चीजों के बारें में बातें करने लगते. इन बातों के अतिरिक्त देश की वर्तमान राजनीति भी लोगों की बातचीत का मुख्य विषय था. हम सभी दोस्तों ने आपस में बात करने की बजाय उन लोगों की बातों का आनन्द लेना शुरू किया.

यह यात्रा वास्तव में कई अर्थो में मजेदार थी, शिमला पहुँचने के साथ ही मेरी रेल यात्रा समाप्त हो गई. हम लोगों ने पहले बस से वापस होने का निर्णय लिया था. इतनी मजेदार रेलयात्रा के बाद हमने सोचा फिर से रेल से वापस जाना अच्छा रहेगा.

इसलिए हम शिमला की यात्रा शुरू करने से पहले वापसी का टिकट लेने टिकट काउन्टर पर पहुँच गये. मेरी यह रेल यात्रा मजेदार ही नहीं सुखद एवं यादगार भी रही.

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Hindi Essay

रेल यात्रा पर निबंध | Essay on Train Journey in Hindi 500 Words | PDF

Essay on train journey in hindi.

Essay on Train Journey in Hindi 500 + Words (Download PDF) कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए – रेल यात्रा पर निबंध द्वारा कुछ अनुभव साझा करेंगे। हम सभी ने रेल यात्रा अवश्य किया होगा। यह एक बहुत ही लुभावना दृश्य होता है। यात्रा का अनुभव कई दिनों तक हमारे दिलो दिमाग से निकलती नहीं है। ऐसी एक रेल यात्रा में आप के साथ निबंध के रूप बताने जा रहा हूँ तो आइये शुरू करते है। (Essay on Train journey in Hindi )

स्थल यातायात में रेलगाड़ी का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश में सारे देश को रेल लाइनों से जोड़ दिया गया है। मैं बस द्वारा तो कई बार यात्रा कर चुका था परंतु रेल यात्रा करने का अवसर मुझे कभी नहीं मिला था। मैंने ग्रीष्मकालीन अवकाश में प्रथम बार रेल यात्रा की। यह यात्रा मेरे जीवन की सबसे स्मरणीय यात्रा रही क्यूंकि जो मैंने अनुभव किया वे किसी ओर यात्रा में कभी नहीं किया।

राजस्थान जाने का कार्यक्रम

मेरे पिताजी सरकारी कर्मचारी हैं। उन्हें समय-समय पर अवकाश यात्रा की छूट मिलती है जिसको एल टी सी कहते हैं। प्रत्येक सरकारी कर्मचारी समय समय पर एल टी सी पर यात्रा करते हैं। विगत ग्रीष्मावकाश पर मेरे पिता एल टी सी पर राजस्थान जाने का कार्यक्रम बनाया। इस अवसर पर हमने रेल यात्रा द्वारा राजस्थान जाने की योजना बनाई। यह मेरी प्रथम रेल यात्रा थी।

यात्रा का शुभारंभ

ग्रीष्मावकाश पड़ने पर हम 10 मई को घर से गुजरात के रेलवे स्टेशन को चल पड़े। अपना आवश्यक सामान लेकर हम टैक्सी द्वारा रेलवे स्टेशन पहुंचे। हमारी गाड़ी को प्लेटफार्म नंबर 8 पर खड़ा होना था। हम 8 नंबर प्लेटफार्म पर अपनी गाड़ी की प्रतीक्षा के लिए बेंच पर बैठ गए।

हमारी गाड़ी ने प्रातः 6:00 बजे राजस्थान को जाना था परंतु ध्वनि प्रसारण यंत्र से बताया गया कि राजस्थान जाने वाली गाड़ी आज एक घंटा विलम से प्रस्थान करेगी। हम फिर अपने प्लेटफार्म पर इधर उधर घूमने लगे। 7:00 बजे तक प्रतीक्षा करने के लिए समाचार पत्र का अध्ययन करने लगे।

प्लेटफार्म पर कई प्रकार की दुकानें उपलब्ध होती हैं। पत्र, पत्रिकाएं, व पुस्तक विक्रेता की दुकान, फल वाले की दुकान, खाद्य सामग्री की दुकानें, आदि। मैंने गाड़ी में पढ़ने के लिए एक पत्रिका ‘पराग’ व ‘नंदन’ खरीदी। 7:00 बजे छुक -छुक करते हुए रेल गाड़ी प्लेटफार्म नंबर 8 पर पहुंच गई।

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यात्रा का अनुभव

हमारा पहले से ही आरक्षण था। अपने आरक्षित डिब्बे में हम अपने पूर्व निर्धारित सीट पर बैठ गए। हमारी ही तरह अन्य यात्री भी उस कंपार्टमेंट में अपनी अपनी सीट पर आसीन होने लगे। अभी गाड़ी प्रस्थान में 10 मिनट शेष थे। मैंने बाहर आकर सामान्य डिब्बे की ओर देखा। वहां की भीड़ को देखकर मैं दंग रह गया।

गार्ड ने सिटी बजाई और हरी झंडी दिखाई। मैं फौरन अपने कंपार्टमेंट की ओर दौड़ पड़ा और अपनी सीट पर जा बैठा। गाड़ी धीरे धीरे छुक छुक करती हुई गुजरात के स्टेशन से विदा हो गई। गुजरात रेलवे स्टेशन की वह चहल पहल देखते-देखते मेरी निगाह से ओझल हो गई।

रेलगाड़ी अपने गति से आगे बढ़ रही थी। मैं गाड़ी की खिड़की के पास बैठकर बाहर के दृश्यों को देखने का आनंद ले रहा था। सभी प्रकार के दृश्य सामने आ रहे थे और तुरंत ही दर्शन देकर पीछे को भाग कर छुप जाते थे। प्रत्येक दृश्य मानो मेरे साथ आंख मिचौली का खेल खेल रहे हो।

मुझे मेरी प्रथम रेल यात्रा बड़ी आनंददायक लग रही थी। मुझे बाहर के दृश्य अत्यंत लुभावने लग रहे थे। अभी हम लहराते हरे हरे भरे खेतों के सामने से गुजर रहे थे। क्षण भर में सुंदर भवनों का शहर सामने आया। एक क्षण में हम शहर में होते थे तो दूसरे क्षण जंगल में पहुंच जाते थे।

अल्प समय में ही इतनी विविधता मैंने पहले नहीं देखी थी। बड़े बड़े शहरों, नदियों, जंगलों को पार करती हुई हमारी रेलगाड़ी दूसरे दिन प्रातः राजस्थान पहुंच गई। रास्ते में हमने समय पर भोजन व नाश्ता कर लिया था। मेरी माता जी रास्ते में खाने के लिए कई अन्य पदार्थ भी लायी थी।

यात्रा समाप्ति पर

हमारी रेलगाड़ी हमारे गंतव्य स्थल पर पहुंच गई थी। गाड़ी के अच्छी प्रकार रुक जाने पर हम अपना सामान लेकर नीचे उतरे। कुली ने हमारा सामान उठाया। प्लेटफार्म पर वही चहल पहल थी जो गुजरात में थी। वहां पर भी रेलगाड़ियों के आने जाने की घोषणाएं हो रही थी। चाय वाले, नाश्ते वाले, सामने आकर अपने अपने सामान खरीदने को विवश कर रहे थे।

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कुली हमारा सामान प्लेटफार्म से बाहर लाया। हमने सबसे पहले गाइड ढूंढा क्योंकि हमें राजस्थान शहर का अच्छी प्रकार ज्ञान नहीं था तुरंत एक गाइड हमारे पास आया। हमने अपनी सारी योजना से उस को अवगत कराया, तब उसने राजस्थान के लिए मार्गदर्शन किया। हमारी रेलगाड़ी यहीं पर समाप्त हो गई है।

मेरी प्रथम रेल यात्रा मेरे लिए जीवन की एक अविस्मरणीय घटना थी। रेलयात्रा बड़ी आनंददायक यात्रा होती है। हमारे देश में रेल गाड़ियों की संख्या काफी बढ़ी है परंतु भीड़ में कोई कमी नहीं आई है। भीड़ दिनों-दिन अधिक बढ़ गई है। हमारी सरकार को रेल व्यवस्था में सुधार करना चाहिए ओर रैलो की संख्या बढ़ानी चाहिए।

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FAQs. on Train journey in Hindi

ट्रेन की यात्रा सबसे अच्छी क्यों होती है.

उत्तर – रेल यात्रा में बहुत मज़ा आता है, चाहे वह अकेले हो या परिवार के साथ। अगर कोई ट्रेन से यात्रा करने की योजना बना रहा हो, यात्रा में बातचीत, मौज-मस्ती और कई अनुभव आमतौर पर देखने को मिलता है। यात्रा के समय कुछ यादों और अच्छे समय जो आप ने बिताया,  जीवन भर स्मरणीय होता हैं।

आप रेल यात्रा का आनंद कैसे लेते हैं?

उत्तर – जब भी हम रेल से यात्रा करते है तो हम यात्रा करते समय नए दोस्तों और दिलचस्प लोगों से मिलते है। एक फिल्म या श्रृंखला देखते और दोस्तों या परिवार के साथ गेम खेलते है। बाहरी दृश्य देखर मन खुशी से झूम उठता है।

ट्रेन से यात्रा करने में क्या है खास?

उत्तर – रेल से यात्रा करना एक किफ़ायती तरीका है, यह समय की बचत करता है और आरामदायक अनुभव देता है। यह हवाई यात्रा के विपरीत, रेल से यात्रा के दौरान बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के अधिक से अधिक सामान ले जा सकते हैं। आप अपना सामान अपने साथ रख सकते है।

मुझे ट्रेन यात्रा क्यों पसंद है?

उत्तर – रेल यात्रा परेशानी मुक्त होती है। रेल यात्रा के दौरान आप को प्रस्थान समय से घंटों पहले आने की कोई आवश्यकता नहीं है, हवाई यात्रा में बहुत ज्यादा सिमा निर्धारित होता है  इसकी तुलना में ट्रेन यात्रा के लिए समान पैक करना भी बहुत आसान है। यात्रा के दौरान लुभावने दृश्य देखने को मिलते है।

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मेरी पहली रेलयात्रा पर निबंध | Meri Pehli Rail Yatra Essay in Hindi

Meri Pehli Rail Yatra Essay in Hindi : भारत के परिवहन में रेल एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। भारत में रेलवे लगभग हर शहर को आपस में जोड़ कर रखता है। इसलिए विभिन्न परीक्षाओं में रेल यात्रा से संबन्धित कुछ निबंध लिखने के लिए भी आते हैं, उनमे से प्रथम रेल यात्रा का वृतांत एक प्रमुख निबंध है। (Essay on My First Train Trip in Hindi )

Meri pahli rail yatra par nibandh, Essay on my first train trip in hindi

मेरी पहली रेलयात्रा पर निबंध हिन्दी में 

रेलयात्रा की जिज्ञासा, रेलवे स्टेशन का दृश्य, यात्रा प्रारम्भ, रेल के अंदर के रोचक प्रसंग, रोचक और ज्ञानवर्धक यात्रा का अंत.

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ट्रेन से यात्रा पर निबंध – 10 lines (A Journey By Train Essay in Hindi)100, 200, 300, 500, शब्दों मे

railway journey essay in hindi

A Journey By Train Essay in Hindi – ट्रेन सिर्फ एक वाहन नहीं है. यह भावना रखता है; इसमें आगे बढ़ने का आनंद है, इसमें गति का रोमांच है। कई बार जब हम किसी किताब या इंटरनेट पर किसी ट्रेन यात्रा के बारे में पढ़ते हैं तो हमें अंतरराज्यीय ट्रेनों में यात्रा की कहानी बताई जाती है। हालाँकि, लोकल ट्रेन-यात्रा भी रोमांच, रोमांच और खुशी से रहित नहीं है। समय पर पहुंचने का रोमांच, स्थानीय स्थलों की खोज का रोमांच और आराम से और सुरक्षित यात्रा करने में सक्षम होने की खुशी है। 

ट्रेन से यात्रा पर 10 पंक्तियाँ निबंध (10 Lines on  journey by train essay in Hindi)

  • ट्रेन की यात्रा हमेशा आनंददायक और रोमांचक होती है।
  •  यह परिवहन के सबसे किफायती साधनों में से एक है, जो इसे सभी के लिए सुलभ बनाता है।
  •  मैंने हाल ही में ढिगा तक ट्रेन से यात्रा की।
  •  हम कई नए लोगों से मिले और उनसे बातचीत करने का मौका मिला!
  •  सौभाग्य से, मुझे खिड़की वाली सीट मिल गई, सोने पर सुहागा!
  •  जैसे ही ट्रेन बाहरी इलाके के पास पहुंची, मैंने चारों ओर हरे-भरे खेत देखे।
  •  हम लोगों को खेतों में काम करते और बच्चों को स्कूल जाते हुए देख सकते थे क्योंकि यह सुबह की ट्रेन थी।
  •  थोड़ी देर के बाद, फेरीवाले विभिन्न प्रकार के सामान बेचने के लिए डिब्बे में प्रवेश करने लगे।
  •  हालाँकि यह एक छोटी यात्रा थी, फिर भी मैंने इसका पूरा आनंद लिया।
  • मैं हमेशा अपनी अगली ट्रेन यात्रा का इंतज़ार करूँगा।

ट्रेन से यात्रा पर निबंध 100 शब्द (A journey by train essay 100 words in Hindi)

रेल यात्राएँ कई मायनों में अनूठी होती हैं। वे जो स्मृतियाँ प्रदान करते हैं, जो अनुभव प्राप्त करते हैं और जो सबक सीखे जाते हैं वे मूल्यवान हैं। किसी को भी ट्रेन यात्रा के बारे में अपनी सुखद यादें संजोकर रखनी चाहिए और इससे जीवन में बाद में उसके चेहरे पर मुस्कान आना तय है। स्नैक्स और सुंदर दृश्यों के अलावा, रेलगाड़ियाँ सह-यात्रियों को दोस्त बनने की पेशकश करती हैं। हमारे साथ चलने वाले, हमसे बात करने वाले और हमारे साथ हंसने वाले मित्रवत सह-यात्रियों की जोड़ी से अधिक अद्भुत कुछ भी नहीं है।

यात्रा हमें बहुमूल्य सबक सिखाती है। सह-यात्री हमें दिखाते हैं कि कैसे हमारे जीवन के मिशन में, हम कुछ दयालु आत्माओं से मिलते हैं जो दूरी को सहनीय बनाती हैं और हमारा साथ देती हैं। हम उन्हें शाश्वत प्रवाह में खो देते हैं, और अंत में, हम अकेले ही चलते हैं।

ट्रेन से यात्रा पर निबंध 200 शब्द (A journey by train essay 200 words in Hindi)

ट्रेन यात्रा बेहद मजेदार होती है, खासकर दोस्तों के समूह के साथ यात्रा करते समय। ट्रेन से मेरी सबसे यादगार यात्राओं में से एक दिल्ली से जयपुर तक की यात्रा थी। यह एक स्कूल यात्रा थी और हम सभी इसे लेकर बहुत उत्साहित थे। हमारे पास यात्रा के लिए कई योजनाएँ थीं और हम विशेष रूप से रास्ते में एक अच्छा समय बिताने की आशा कर रहे थे।

हम सभी सुबह 6 बजे तक रेलवे स्टेशन पहुँच गये और कुछ ही मिनटों में ट्रेन चल पड़ी। मैं बाहर का दृश्य देखने के लिए खिड़की वाली सीट पर बैठ गया। रास्ते में हरे-भरे खेत, कीचड़ भरी सड़कें और झोपड़ियों का दृश्य मनमोहक था। मेरा सबसे अच्छा दोस्त मेरे पास बैठा था और हमने बाहर देखते हुए बातें कीं।

जल्द ही, नाश्ते का समय हो गया। मुझे ट्रेन में परोसे जाने वाले कटलेट और ब्रेड बहुत पसंद थे। एक प्लेट ब्रेड और कटलेट खाने के बाद हमने गर्म टमाटर का सूप भी लिया। नाश्ते के बाद हम सभी ने अंताक्षरी खेलने का फैसला किया। बड़े समूहों में अंताक्षरी खेलना हमेशा मजेदार होता है। हमारे शिक्षक भी हमारे साथ शामिल हो गए जिससे मज़ा और बढ़ गया। हमने बाकी यात्रा के दौरान अंताक्षरी खेली और इससे पहले कि हमें पता चलता कि हम अपनी मंजिल पर पहुंच गए हैं। यह एक शानदार अनुभव था। मेरे दोस्तों के साथ ने इस रेल यात्रा को और भी आनंदमय बना दिया।

ट्रेन से यात्रा पर निबंध 300 शब्द (A journey by train essay 300 words in Hindi)

शिमला एक ख़ूबसूरत हिल स्टेशन है लेकिन इससे भी अधिक आश्चर्यजनक बात इस मार्ग पर चलने वाली विशेष टॉय ट्रेन के माध्यम से कालका से शिमला तक की ट्रेन यात्रा है। यह जो रास्ता अपनाता है वह मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। अगर कोई इस ट्रेन से यात्रा नहीं करता तो शिमला की यात्रा अधूरी है। इसलिए, हमने इस बहुचर्चित ट्रेन यात्रा का अनुभव लेने के लिए पहले से ही अपने टिकट बुक कर लिए थे क्योंकि हमने शिमला की अपनी यात्रा की योजना बनाई थी।

टॉय ट्रेन से शिमला की यात्रा

हम पिछले साल शरद ऋतु की छुट्टियों के दौरान शिमला गए थे। हमने कालका तक बस से यात्रा की और वहां से हमने टॉय ट्रेन से शिमला की यात्रा की। मैंने सोचा था कि यह कुछ पहाड़ों और घाटियों के दृश्य के साथ एक सामान्य ट्रेन यात्रा की तरह होगी लेकिन वास्तव में यह बेहद रोमांचकारी और रोमांचक साबित हुई। हम अपनी पूरी यात्रा के दौरान प्रकृति के बीच रहे। हमें सिर्फ पहाड़ों, घाटियों और आसपास की हरियाली का ही नजारा नहीं मिला, हमें ऐसा लगा जैसे हम इसका एक हिस्सा बन गए हैं क्योंकि ट्रेन प्रकृति का असली एहसास देते हुए पहाड़ों के बीच से गुजर रही थी।

यह 5-6 घंटे की यात्रा थी और मैंने इसका भरपूर आनंद लिया। मार्ग सुरंगों और पुलों से भरा था जो अनुभव को और भी बढ़ा देता था। मार्ग पर 100 से अधिक सुरंगें और लगभग 800 पुल थे। मैं पूरी यात्रा के दौरान बाहर का नजारा लेने के लिए खिड़की के पास बैठा रहा। रास्ते में एक स्टेशन पर रुकते ही हम भी ट्रेन से बाहर निकल आये। यह एक छोटा सा स्टेशन था और ट्रेन लगभग दस मिनट ही रुकी।

मेरे साथ मेरे माता-पिता और भाई भी थे। उन्होंने यात्रा का उतना ही आनंद लिया जितना मैंने लिया। वापसी में भी हमने उसी ट्रेन से यात्रा की।

यह सचमुच मेरे जीवन की सबसे अच्छी रेल यात्रा थी। मुझे प्रकृति के बीच रहना पसंद है। यही कारण है कि मैंने इसका और भी अधिक आनंद उठाया।’ मैं वास्तव में इस मार्ग पर फिर से जाना चाहता हूं।

ट्रेन से यात्रा पर निबंध 500 शब्द (A journey by train essay 500 words in Hindi)

सबसे पहले, यात्रा का तात्पर्य एक स्थान से दूसरे स्थान तक यात्रा करना है। जब यात्रा की बात आती है, तो ट्रेन यात्रा शीर्ष स्थान पर होती है। रेल यात्रा निश्चित रूप से एक अद्भुत आनंद का अवसर है। इसके अलावा, ट्रेन यात्राएँ व्यक्तियों को तीव्र उत्साह की भावना से भर देती हैं। जब यात्रा की दूरी लंबी हो तो यात्रा का यह तरीका सबसे अच्छा होता है। रेल यात्रा एक ऐसी आभा पैदा करती है जिसे अन्य प्रकार की यात्राओं के साथ अनुभव नहीं किया जा सकता है।

ट्रेन से यात्रा का मेरा अनुभव

मैं सदैव रेल यात्राओं का प्रबल समर्थक रहा हूँ। रेल यात्राओं से मेरा जुड़ाव बचपन से ही शुरू हो गया था। मैं लखनऊ में रहता हूँ और यहाँ से मैंने कई रेल यात्राएँ की हैं। इसके अलावा, बचपन से ही, मैंने अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए कई बार हिल स्टेशन अल्मोडा का दौरा किया है। अल्मोड़ा उत्तराखंड राज्य में स्थित एक हिल स्टेशन है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, अल्मोड़ा हिमालय पर्वत क्षेत्र में स्थित है। इसके चलते ट्रेन सीधे अल्मोड़ा नहीं जा सकती। नतीजतन, काठगोदाम पर्वत श्रृंखला शुरू होने से पहले ट्रेनों द्वारा पहुंचने वाला आखिरी टाउन स्टेशन है।

लखनऊ से काठगोदाम तक की यात्रा काफी जीवंत अनुभव है। मैंने हमेशा अपनी सीटों का आरक्षण पहले से सुनिश्चित कर लिया है। तो, मेरी रेल यात्रा लखनऊ रेलवे स्टेशन से शुरू होती है। जैसे ही ट्रेन गति पकड़ती है और लखनऊ रेलवे स्टेशन से निकलती है, मेरा उत्साह बढ़ने लगता है। इसके अलावा, जैसे ही ट्रेन गति पकड़ती है, एक रोमांचकारी एहसास मुझ पर हावी हो जाता है।

लखनऊ से काठगोदाम तक की मेरी रेल यात्रा संभवतः 8-10 घंटे की है। हालाँकि, यात्रा इतनी लंबी होने के बावजूद मैं इसके हर मिनट का आनंद लेता हूँ। इसके अलावा, पूरी यात्रा के दौरान कोई भी व्यक्ति खाने-पीने की चीजें खरीद सकता है। मैं लगभग हमेशा यात्रा में कम से कम दो बार भोजन और जलपान खरीदता हूँ।

जब नींद मुझ पर हावी हो जाती है तो मैं स्लीपिंग बर्थ का इस्तेमाल करता हूं। मुझे व्यक्तिगत रूप से ट्रेन की बर्थ पर सोना बहुत आरामदायक लगता है। गहरी नींद के बाद जब जागता हूं तो दूर से पहाड़ नजर आते हैं। इसके अलावा, जैसे-जैसे ट्रेन खतरनाक गति से काठगोदाम के पास पहुंचती है, पहाड़ों का दृश्य और भी बड़ा होता जाता है। इसके अलावा, जब मैं हिमालय को करीब आता देखता हूं तो मेरा मनोरंजन बहुत बढ़ जाता है। अंततः, जैसे ही ट्रेन काठगोदाम में रुकती है, मेरी आनंददायक ट्रेन यात्रा समाप्त हो जाती है।

मुझे ट्रेन से यात्रा करना क्यों पसंद है?

आराम रेल यात्रा का सबसे बड़ा लाभ है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि कोई भी व्यक्ति ट्रेन के केबिन में स्वतंत्र रूप से घूम सकता है। इसके अलावा, ट्रेनों में पर्याप्त पैर रखने की जगह होने की संभावना है। इसके अलावा, ट्रेनें आरामदायक शयन बर्थ प्रदान करती हैं। यह सब ट्रेन यात्रा को एक आरामदायक अनुभव बनाता है।

सुंदर दर्शनीय स्थल रेल यात्रा का एक और उल्लेखनीय लाभ है। जैसे ही ट्रेन यात्रा करती है, कोई ग्रामीण इलाकों, खेतों, जंगलों, कारखानों आदि के दृश्यों का आनंद ले सकता है। यह ट्रेन यात्रा को हवाई या सड़क मार्ग से यात्रा की तुलना में अधिक व्यापक बनाता है।

ट्रेन यात्राएं समय बिताने के कई तरह के अवसर प्रदान करती हैं। इसके अलावा, ट्रेन एक मिलनसार वातावरण प्रदान करती है। रेल यात्रा में यात्रियों के बीच बातचीत लगभग हमेशा होती रहती है। ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों से कोई भी आसानी से नए दोस्त बना सकता है। साथ ही ट्रेन के सफर में भी खूबसूरत अंदाज में समय बिताया जा सकता है। रेल यात्रा में व्यक्ति कुछ पढ़ने, संगीत सुनने, वीडियो देखने, आराम से सोने/आराम करने आदि में समय बिता सकता है।

संक्षेप में कहें तो, रेल यात्रा वास्तव में एक अनोखी यात्रा है। रेल यात्रा किसी अन्य यात्रा की तरह विशिष्टता प्रदान करती है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि ऐसी यात्रा का आकर्षण अद्वितीय है। रेल यात्रा निश्चित रूप से एक अविस्मरणीय समृद्ध अनुभव प्रदान करती है।

ट्रेन से यात्रा निबंध पर कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1 लेखक ट्रेनों में इतनी गहरी नींद क्यों सोता है.

A1 लेखक को ट्रेनों में गहरी नींद आती है क्योंकि उसे ट्रेन की बर्थ पर सोना बहुत आरामदायक लगता है।

Q2 रेल यात्रा को इतना आरामदायक क्यों बनाता है?

A2 ट्रेन की यात्रा निश्चित रूप से बहुत आरामदायक है। सबसे पहले, कोई भी ट्रेन के केबिन में स्वतंत्र रूप से घूम सकता है। इसके अलावा, ट्रेन में पर्याप्त पैर रखने की जगह और आरामदायक शयन बर्थ की सुविधा है।

Chhoti Badi Baatein

  • हिंदी निबंध संग्रह - Hindi Essay Collection

रेल यात्रा पर निबंध – Essay on Train Journey in Hindi

Essay on Train Journey in Hindi – रेल यात्राओं पर अक्सर स्कूलों में निबंध आदि पूछे जाते हैं, यहां हम कुछ छोटे और बड़े निबंध दे रहे हैं जो सभी वर्गों के लिए परीक्षा की दृष्टि से लाभकारी होंगे।

रेल यात्रा, मेरी पहली रेल यात्रा, मेरा रेल यात्रा का अनुभव पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Train Journey in Hindi, Rail Yatra par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

रेल यात्रा पर निबंध (Train Journey Essay in Hindi)

प्रस्तावना:

आशा है कि आपने यात्रा के बारे में बातें सुनी होंगी। यात्रा का शाब्दिक अर्थ है एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना। यात्रा करने के लिए वैसे तो कई विकल्प होते हैं, लेकिन जब भी यात्रा की बात आती है तो हर किसी के जहन में ट्रेन यानि रेल की तस्वीर सबसे ऊपर होती है।

आजकल किसी भी देश में रेलवे ट्रेनों का दिखना एक आम बात है। ट्रेन में एक इंजन और कई कोच यानि डिब्बे होते हैं। यह यात्रियों और सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए परिवहन का एक प्रमुख साधन है।

बहुत से लोग यात्रा करना पसंद करते हैं लेकिन वयस्कों से ज्यादा बच्चे अपनी पहली यात्रा को लेकर उत्साहित रहते हैं।

रेल यात्रा पर निबंध – 1 (250 शब्दों में)

यात्रा करना हर किसी को पसंद होता है और जब बात रेल यात्रा की आती है तो यह और भी खास हो जाता है।

रेल यात्रा की विशेषता यह है कि यह सभी वर्गों और सभी उम्र के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। दरअसल रेल से सफर करने का अनुभव वाकई में बेहद रोमांचक और रोमांस से भरपूर होता है।

तुलनात्मक रूप से रेल यात्रा बस और हवाई जहाज की तुलना में अधिक सस्ती, आरामदायक और सुखद साबित होती है। यात्रियों के अनुसार, रेल लंबे मार्गों और रात भर की यात्रा के लिए परिवहन के सबसे सुरक्षित साधनों में से एक है।

छोटे बच्चों के साथ सफर करना हो तो रेल से सफर करना ज्यादा आसान हो जाता है। रेल का सफर आसपास के वातावरण को जीवंत कर देता है। रेल की छोटी-छोटी खिड़कियों से हम बाहर के खूबसूरत नजारे जैसे पहाड़, नदियां, जंगल और खेत आदि देख सकते हैं।

कुछ लंबी दूरी की ट्रेनें अपने यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण भोजन प्रदान करती हैं। लेकिन जब रेल निर्धारित स्टेशनों पर रुकती है तो प्लेटफॉर्म पर जाकर खाना खरीदने का मजा ही कुछ और होता है।

रेल हमें भारत की विभिन्न संस्कृतियों से जोड़ती है। इसमें बिजली की सुविधा भी होती है जिससे यात्रियों को रात के समय किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े साथ ही ऐसी ट्रेन में शयन और तकिया की सुविधा भी उपलब्ध होती है.

ट्रेन का सफर हर किसी के जीवन में अविस्मरणीय होता है और इसके साथ कई यादें जुड़ी होती हैं। वाकई रेल यात्रा हमें एक अविस्मरणीय अनुभव देती है। हमें जीवन में कम से कम एक बार इसे आजमाना चाहिए।

रेल यात्रा पर निबंध – 2 (500 शब्दों में)

भारत में रेल यात्रा को आज के समय में परिवहन का सबसे आसान, सुरक्षित और सस्ता साधन माना जाता है। रेल भारत में परिवहन का एक महत्वपूर्ण और प्रचलित साधन है जो दूरी को कम समय में पार करती करती है और लोगों को एक शहर से दूसरे शहर तक ले जाती है।

रेल यात्रा के दौरान आप देश के अलग-अलग हिस्सों की खूबसूरती देख सकते हैं और नई-नई जगहों के बारे में जान सकते हैं।

रेल की यात्रा सुखद होती है और इससे आपको बहुत सारे लाभ भी मिलते हैं।

रेल यात्रा के लाभ:

आरामदायक और सुविधाजनक होना रेल यात्रा के सबसे बड़े फायदों में से एक है। रेल से सफर करना न सिर्फ सस्ता और आरामदायक होता है बल्कि इसके और भी कई फायदे हैं। 

प्रतिकूल मौसम की स्थिति का रेल यात्रा पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। रेल यात्रा सुरक्षित होती है क्योंकि इसमें चोरी या डकैती की संभावना कम होती है।

आप अपने डिब्बे में आराम से टहल सकते हो और रेलगाड़ी के एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में भी स्वतंत्र रूप से आ-जा सकते हैं। इसके अलावा, ट्रेनों में आरामदायक नींद के लिए शयन (बर्थ) भी उपलब्ध होते हैं।

ट्रेनों की बोगियां पर्याप्त हवा के लिए काफी अनुकूल होती हैं। रेल में छोटे बच्चों और सीनियर सिटीजन के लिए कई तरह के इंतजाम होते हैं।

  • यात्रा करते समय आप किताबें पढ़कर, खेल खेलकर, संगीत सुनकर आराम से अपना समय व्यतीत कर सकते हैं।

रेल यात्रा हमें एक दूसरे के करीब लाती है, हमें इस यात्रा के दौरान लोगों से मिलने, अपनी बातें साझा करने जैसी कई चीजें सीखने को मिलती हैं।

रेलवे ने हमेशा देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश की सरकार को अधिकतम आय इसी क्षेत्र से आती है।

देश के गरीब लोगों के लिए भी परिवहन के लिहाज से रेल सबसे किफायती विकल्प है।

रेल यात्रा और प्रकृति:

भारत विविध संस्कृति और जलवायु के साथ समृद्ध विविधता का देश है। इसके विभिन्न मौसम अपने आप में विशिष्ट हैं और भारत के प्रत्येक क्षेत्र के लिए अद्वितीय हैं। हर मौसम अपने साथ अपनी अलग सुंदरता और आकर्षण लेकर आता है।

रेल से यात्रा अविश्वसनीय रूप से सुंदर हो सकती है। ट्रेन की सीट पर बैठकर आप खिड़की से रास्ते में पड़ने वाले शहरों, पहाड़ों, बगीचों समेत चारों ओर की हरियाली और नदियों आदि को देख सकते हैं।

रेल यात्रा की सुविधा:

रेल के सफर के दौरान हमें तरह-तरह की सुविधाएं मिलती हैं। रेल के प्रकार के आधार पर, स्लीपर सीट, एसी सीट, नाइट कोच आदि जैसे बैठने के विभिन्न विकल्प मिलते हैं। यात्री अपनी पसंद के अनुसार इनमें से चुन सकते हैं।

ट्रेन में महिलाओं के लिए खास सुविधाएं होती हैं, उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। रेल के सफर के दौरान ट्रेन में सामान रखने के लिए कई कुली होते हैं, जो नाममात्र के वेतन पर आराम से आपका सामान ट्रेन में रख देते हैं।

लंबी दूरी होने के कारण रेल के सफर में लंबे समय तक बैठने से थकान होना आम बात है। इसलिए कई ट्रेनों में यात्रियों के लिए बिस्तर और शौचालय की सुविधा भी उपलब्ध होती है।

रेल यात्रा में सभी प्रकार के लोग यात्रा कर सकते हैं और यह बीमार लोगों के लिए विशेष रूप से सुविधाजनक है क्योंकि रेल की पटरियां समतल होती हैं और बीमार रोगियों के लिए इसमें यात्रा करना बहुत आरामदायक होता है। 

ट्रेन के सफर के दौरान हमें खाने पीने के कई विकल्प और सुविधाएं भी मिलती हैं और ट्रेन में फ्रेश होने के लिए टॉयलेट भी होते है। इस कारण हम रेलगाड़ी से लंबी दूरी की यात्रा भी आसानी से कर सकते हैं।

ट्रेन के सफर के दौरान हम अपने कंपार्टमेंट में इधर-उधर टहल भी सकते हैं, जिससे हमें किसी तरह की असुविधा महसूस नहीं होती है।

ट्रेन में इंसानों के अलावा अन्य सामान भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है। रेलगाड़ी परिवहन का भी एक अच्छा साधन है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने भारी-भरकम सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता है।

रेल यात्रा पर निबंध – 3 (750 शब्दों में)

रेल यात्रा सबसे सुरक्षित तरीका है जो आपको सुरक्षित रूप से आपके गंतव्य तक ले जाती है। रेल यात्रा के दौरान आप देश के अलग-अलग हिस्सों की खूबसूरती देख सकते हैं और नई-नई जगहों के बारे में जान सकते हैं।

रेलवे की सुविधा भारत के विभिन्न शहरों और गांवों को जोड़ती है और यात्रियों को सुविधाजनक और तेज सेवाएं प्रदान करती है।

रेलवे नेटवर्क भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लाखों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है।

मेरी पहली रेल यात्रा:

मैंने अपनी पहली रेल यात्रा दिल्ली से शिमला तक अपने दादा-दादी के साथ पिछले साल गर्मी के मौसम में की थी। तब दादाजी ने मुझे कहा कि इस यात्रा का अच्छे से आनंद लो क्योंकि पहली रेल यात्रा सभी के लिए बहुत यादगार होती है।

दादाजी के शब्दों ने मुझे अपनी पहली रेल यात्रा के लिए बहुत उत्साहित कर दिया था। स्टेशन पर पहुंचने पर मैंने खुद अपना पहला रेल टिकट खरीदा और साथ में दादा दादी के लिए भी टिकट खरीदा।

फिर जैसे ही हम रेलवे प्लेटफॉर्म पर पहुंचे, मैं अपने आसपास की सभी गतिविधियों को करीब से देखने और समझने की कोशिश करने लगा.

ट्रेन में चढ़ने के बाद मैंने अपनी और दादा-दादी की सीट ढूंढी और हम सब आराम से बैठ गए। मैं खुशनसीब था कि मुझे विंडो सीट मिली। जब ट्रेन चलने लगी तो मैं थोड़ा घबरा गया, लेकिन दादी ने मुझे संभाला और वह मुझे खिड़की के बाहर के नजारे दिखाने लगीं।

दादाजी ने भी मुझे बाहर की गतिविधियों के बारे में और सिग्नलों, विभिन्न ट्रेनों आदि के बारे में बताना शुरू किया। मुझे ट्रेन का बार-बार रुकना और चलना थोड़ा अजीब लगा, लेकिन दादाजीने ने मुझे उसके रुकने का कारण समझाया।

फिर जैसे-जैसे रेल का सफर आगे बढ़ा, मुझे अपनी खिड़की से बाहर के खूबसूरत नज़ारे दिखाई देने लगे।

दादा-दादी जल्द ही ट्रेन में साथी यात्रियों के साथ घुलमिल गए और उनसे बातचीत करने लगे। इस दौरान मैंने भी बातचीत और गेम खेलकर कुछ नए दोस्त बनाए।

ट्रेन में सभी के साथ घुलना-मिलना और तरह-तरह के खाने-पीने का लुत्फ उठाना बहुत मजेदार था और हमने कुछ स्थानीय मिठाइयां भी खाई।

हालांकि रेल का सफर लंबा था, लेकिन मैं बहुत खुश था कि मैंने अपनी पहली रेल यात्रा पूरी कर ली थी। इस सफर से दादा-दादी थोड़े थके हुए थे लेकिन मैं काफी तरोताजा महसूस करने लगा।

मैं अपने पहले अनुभव से बहुत प्रभावित हुआ और फिर से रेल से यात्रा करने का मन बना लिया।

अपने अनुभव से मैं यह कह सकता हूं की रेल का पहला सफर वाकई में  बहुत ही मजेदार और अनुभव से भरा होता है।

मेरा रेल यात्रा का अनुभव:

रेल यात्रा कई अनोखे अनुभवों से भरी होती है। यह आस-पास या दूर के विभिन्न शहरों में यात्रा करने के लिए परिवहन का एक सुविधाजनक, उत्तम दर्जे का और बजट के अनुकूल साधन है।

रेल यात्रा का अनुभव सबसे पहले वहीं से शुरू होता है जहां से यात्रा शुरू होती है। ट्रेन में यात्रा करना एक सामाजिक अनुभव है क्योंकि ट्रेन में यात्रा के दौरान हम सभी जाति और पंथ के लोगों से मिल सकते हैं।

ट्रेन के सफर के दौरान खिड़कियों के बाहर खूबसूरत पहाड़, नदियां, घाटी के नजारे, झरने आदि के प्राकृतिक नजारे भी देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं, कई बार आप जंगल और जंगली जानवरों आदि का लुत्फ भी उठा सकते हैं।

सफर के दौरान कई ग्रामीण और शहरी इलाके देखने को मिलते हैं जहां लोग तरह-तरह के काम भी करते नजर आते हैं। खेत और उसकी खुशबू दिल को छू जाती है।

खाने के शौकीन लोग अक्सर रेल के सफर के दौरान प्लेटफॉर्म के लोकल खाने का लुत्फ उठाते देखे जा सकते हैं. सफर के दौरान स्लो म्यूजिक, फिल्में देखकर भी आप अपना टाइम पास कर सकते हैं।

रेल यात्रा के दौरान हम यात्रा करने में बहुत सहज महसूस करते हैं, हम यात्रा के दौरान पूरे मनोरंजन के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पहुंच सकते हैं और यात्रा का आनंद ले सकते हैं।

मुझे रेल से यात्रा करना क्यों पसंद है?

रेल से यात्रा करते समय हम बैठे-बैठे ग्रामीण क्षेत्रों, खेतों, जंगलों, कारखानों आदि के नज़ारों का आनंद ले सकते हैं। यह हवाई या सड़क मार्ग से यात्रा की तुलना में रेल यात्रा को अधिक व्यापक बनाता है।

इसके अलावा, रेल अजनबियों के साथ एक मिलनसार वातावरण प्रदान करती है। रेल यात्रा में, लगभग हमेशा साथी यात्रियों के बीच कई तरह के मुद्दों पर बातचीत होती रहती है।

रेल में सफर करने वाले यात्रियों से नए दोस्त बन सकते हैं, जिनकी दोस्ती कई बार जिंदगी भर के लिए बन जाती है।

रेल से यात्रा करने का मजा ही कुछ और है, खासकर जब आपको लंबी दूरी तय करनी हो, तो इतनी सस्ती और अच्छी सुविधाओं के साथ रेल से यात्रा करने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है।

इसमें खाने-पीने, चलने-बैठने, लेटने और शौचालय की भी सुविधा उपलब्ध होती है, इसलिए रेल का सफर बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक सभी के लिए आरामदायक होता है।

रेल यात्रा वास्तव में एक तरह से यादों की खूबसूरत यात्रा है जो जीवन भर याद रहती है। 

रेल यात्रा पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Train Journey in Hindi)

  • यात्रा का शाब्दिक अर्थ है एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना और जब बात रेल यात्रा की आती है तो यह और भी खास हो जाता है।
  • रेल से सफर करने का अनुभव वाकई में बेहद रोमांचक और रोमांस से भरपूर होता है।
  • रूप से रेल यात्रा बस और हवाई जहाज की तुलना में अधिक सस्ती, आरामदायक और सुखद होती है।
  • रेल का सफर आसपास के वातावरण को जीवंत कर देता है।
  • भारत में रेल यात्रा को आज के समय में परिवहन का सबसे आसान, सुरक्षित और सस्ता साधन माना जाता है।
  • आप अपने डिब्बे में आराम से टहल सकते हो और रेलगाड़ी के एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में भी स्वतंत्र रूप से आ-जा सकते हैं।
  • रेल में छोटे बच्चों और सीनियर सिटीजन के लिए कई तरह के इंतजाम होते हैं।
  • प्रतिकूल मौसम की स्थिति का रेल यात्रा पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। 
  • रेल यात्रा सुरक्षित होती है क्योंकि इसमें चोरी या डकैती की संभावना कम होती है।

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Nibandh

Hindi Essay on My First Train Journey (मेरी पहली रेल यात्रा पर हिंदी निबंध)

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रूपरेखा: प्रस्तावना - मेरी प्रथम रेल यात्रा मनाली की - मेरी यात्रा का आरंभ - रेल गाड़ी के अंदर का दृश्य - रेल के बाहर पर्वतीय दृश्य - यात्रा का समापन - उपसंहार।

मनुष्य की जिज्ञासा कभी भी एक ही स्थान पर और एक ही उद्देश्य तक सीमित नहीं रहती है। किसी भी यात्रा का अपना अलग सुख होता है। यात्रा करना बहुत लोगों को पसंद होता है। स्थल यातायात में रेलगाड़ी का बहुत महत्व होता है। हमारे भारत में सारे देशों को रेल लाईनों से जोड़ा गया है। मैंने बस से तो कई बार यात्रा की है लेकिन रेलगाड़ी से एक बार भी यात्रा नहीं की है। लोगों से अधिक बच्चे अपनी पहली यात्रा पर उत्सुक होते हैं। लोगों को दूर की यात्रा में बस की जगह रेल अधिक आनंद देती है। बस में सोने, इधर-उधर फिरने की सुविधा नहीं होती है लेकिन रेल में सभी सुविधाएँ होती हैं।

रेलवे प्लेटफार्म से हम खाने-पीने और रोमांचक वस्तुएँ खरीद सकते हैं। प्लेटफार्म पर हम मेले जैसा अनुभव करते हैं। मेरी पहली यात्रा 2007 में पूरी हुई थी। उस समय मैं पांचवी कक्षा में पढ़ता था। मैं अपने परिवार के साथ ग्रीष्मकाल की छुट्टियों में मनाली गया था। यात्रा तो बहुत लोग करते हैं लेकिन पहली यात्रा का अनुभव बहुत खास होता है। रेल यात्रा करते समय हमारे दोस्त भी बन जाते हैं जो हमसे दूर रहते हैं क्योंकि यात्रा करने के लिए बहुत से लोग बहुत दूर-दूर से यात्रा करने के लिए आते हैं।

मेरे पिता जी एक सरकारी पुलिस अधिकारी हैं। उन्हें अपने बड़े अधिकारीयों द्वारा एक माह का अवकाश मिलता है। ग्रीष्म ऋतू के समय में मेरे पिता जी ने मनाली जाने का कार्यक्रम बनाया। इस सुनहरे अवसर पर हम सभी ने रेलगाड़ी द्वारा मनाली जाने की योजना बनाई थी। मैं बहुत आनंदित था कि मैं अपनी पहली यात्रा को पूर्ण करने जा रहा था। मनाली जाने के लिए हम सभी लोगों में तैयारी के लिए भाग-दौड़ शुरू हो गयी थी। पिताजी ने हमें बताया कि हमारे पास कम-से-कम दो-दो आधी बाजुओं के स्वेटर और दो-दो पुलोवर वश्य होने चाहिए। हमारी माता जी ने हमारे पहनने और खाने के लिए बहुत सा सामान रख लिया था।

हम सभी लोग 12 मई को पहली रेल यात्रा को करने के लिए घर से निकल पड़े थे। हम पूरे चार लोग थे मेरे माता-पिता, मैं और मेरी छोटा भाई आदि। मेरी छोटा भाई भी अपनी पहली यात्रा के समय बहुत आनंदित था। हम सभी जरूरतमंद सामान लेकर ऑटो द्वारा रेलगाड़ी के स्टेशन पहुंचे थे। हमारी पहली यात्रा की शुरुआत स्टेशन से हुई थी। हम लोगों ने अपनी टिकट स्टेशन से खरीदी। स्टेशन से हम जो चाहें खरीद सकते हैं। उस दिन हम लोग बहुत जल्दी स्टेशन पर पहुंच गये थे। हमारी गाड़ी को प्लेटफार्म न. 4 पर आना था इसी वजह से हम सभी लोग 4 प्लेटफार्म पर जाकर बैठ गये।

प्लेटफार्म पर बैठने के लिए बैंचों की सुविधा थी जिस पर हम सभी आरामपूर्वक बैठ गये। मनाली जाने वाली गाड़ी को दोपहर 3 बजे आना था लेकिन एक ध्वनी प्रसारण की मदद से हमें यह पता चला कि मनाली जाने वाली रेलगाड़ी आज 2 घंटा देरी से आएगी। हम लोग प्लेटफार्म पर इधर-उधर घूमने लगे और खेल खेलना शुरू कर दिया। हम लोगों ने 5 बजे तक प्रतीक्षा करने के लिए समाचार पत्र और पत्रिकाओं का अध्धयन भी किया। मैंने रेलगाड़ी में पढने के लिए एक पत्रिका खरीदी वह बहुत ही ज्ञानवर्धक पत्रिका थी जिसमें सभी जानकारी की बातें छपी हुईं थीं। 5 बजे रेलगाड़ी झुक-झुक करती हुई अपने प्लेटफार्म पर पहुंची।

रेलगाड़ी को मनाली के लिए प्रस्थान में अभी 15 मिनट थीं तो मैं अपने डिब्बे से बाहर आकर सामान्य डिब्बे की तरफ देखने लगा। वहाँ पर किसी मेले जितनी भीड़ थी जिसे देखकर मैं हैरान रह गया। मुंबई रेलवे स्टेशन पर बहुत चहल-पहल थी जो हमारी आँखों से थोड़ी सी देर में ही ओझल हो गयी थी। रेलगाड़ी अपनी दुत गति से लगातार आगे बढती जा रही थी। मेरी बर्थ के सामने मेरी ही उम्र का एक और लड़का बैठा हुआ था। मेरी तरह ही उसकी भी पहली रेलयात्रा थी। उसका नाम रिंकू था। हम सभी लोगों ने रात के समय साथ-साथ भोजन किया था और देर तक बातें भी की थीं।

फिर हम सभी ने अपनी-अपनी सीटों पर सूती चादर बिछाई और उस पर लेट गये। पिता जी ने पहले से ही दो तकियों को खरीद लिया था जिन्हें मैंने मुंह से हवा भरकर फुलाया था। जब मैंने अपनी आँखों को बंद किया तो रेलगाड़ी के चलने की लयात्मक ध्वनी को सुनकर मुझे बहुत आनंद मिल रहा था। कुछ देर बाद हमें नींद आ गयी।

हम सभी लोग अपनी पहली यात्रा को करते समय बहुत खुश थे। मैं अपनी निर्धारित जगह पर बैठकर रेलगाड़ी से बाहर के दृश्य का आनंद ले रहा था। खिड़की से बाहर सभी तरह के दृश्य सामने आ रहे थे और वो अपने दर्शन देकर पीछे दूर जाकर छिप जाते थे। उन दृश्यों को देखकर ऐसा लग रहा था मानो वे मेरे साथ आँख-मिचोली खेल रहे हों। मुझे अपनी पहली रेल यात्रा में बहुत आनंद आ रहा है। मुझे बाहर के दृश्य अत्यंत ही मोह लेने वाले लग रहे हैं। रेलगाड़ी से बाहर हरियाली से भरे खेतों का और महल तथा अट्टालिकाओं से भरे शहर का दृश्य बहुत ही मनमोहक लग रहा था।

हम एक पल खेतों से गुजर रहे होते हैं तो एक पल शहर से गुजर रहे होते हैं। इतने कम समय में इतनी विविधता मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। हमारी रेलगाड़ी बड़े-बड़े शहरों, नगरों, खेतों, नदियों, और जंगलों को पार करती हुई तीसरे दिन सुबह मनाली पहुंची थी।

हमारी रेलगाड़ी अपने स्थान पर पहुंच गयी थी। रेलगाड़ी के अच्छी तरह से रुक जाने की वजह से हम अपना सामान नीचे उतार सके। वहाँ पर सामान को उठाने के लिए कुलियों की व्यवस्था थी। प्लेटफार्म पर उसी तरह की चहल-पहल थी जिस तरह की मुंबई में थी। वहाँ पर भी रेलगाड़ियों के आने-जाने के विषय में घोषणाएं हो रही थीं। वहाँ पर चाय वाले, राशन वाले, नाश्ते वाले सामान को खरीदने के लिए विवश कर रहे थे। कुली हमारा सारा सामान प्लेटफार्म से बाहर ले आया और हमने सबसे पहले एक गाइड ढूंढा क्योंकि हमें मनाली का ज्ञान नहीं था। एक गाइड हमारे पास आया और हमने उसे अपनी योजना के विषय में बताया। तब उसने मनाली में हमारा मार्ग-दर्शन किया था। हमारी रेल यात्रा यहीं पर समाप्त हो गयी थी।

मनाली के लिए प्रस्थानयह मेरी पहली यात्रा का बहुत ही रोमांचक वर्णन है। मेरी पहली रेलयात्रा मेरे लिए जीवन भर अविस्मरणीय रहेगी। रेलयात्रा एक बहुत ही आनंदमय यात्रा होती है। हमारे देश में रेलगाड़ियों की संख्या तो बढ़ गयी है लेकिन फिर भी भीड़ में कोई कमी नहीं आई है। भीड़ पहले से भी अधिक हो गयी है। हमारी सरकार को रेल व्यवस्था में बहुत सुधार करने चाहिए और रेलगाड़ियों की संख्या में भी वृद्धि करनी चाहिए।

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रेल यात्रा पर निबंध | Essay on Train Journey in Hindi

रेल यात्रा पर निबंध | Essay on Train Journey in Hindi

मेरी पहली रेल यात्रा

रेल यात्रा का अनुभव, भारतीय रेलवे पर निबंध विज्ञान के चमत्कार पर निबंध दिल्ली पर निबंध.

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Essay on Train Journey in Hindi | रेल यात्रा पर निबंध हिंदी में | Train Journey Essay in Hindi | Rail yatra par nibandh

By: Ramesh Chauhan

प्रस्तावना – Essay on Train Journey in Hindi | रेल यात्रा पर निबंध हिंदी में | Train Journey Essay in Hindi | Rail yatra par nibandh

यात्रा का प्रमुख साधन रेल-, रेल यात्रा आरामदायक एवं सुविधाजनक होता है-, लंबी यात्रा के लिए रेल एकमात्र साधन, रेल यात्रा गुजरते हुए दृश्य का मनोहारी छवि , रेल यात्रा राष्ट्रीय भावना को बढ़ाने में सहायक-, मेरी रेल यात्रा, essay on train journey in hindi।। रेल यात्रा पर हिंदी में निबंध video.

घूमना-फिरना मौज-मस्ती करना किसे पसंद नहीं है । प्रत्‍येक व्‍यक्ति कम से कम एक साल में एक बार जरूर घूमने के लिए बाहर जाना चाहता है । घूमना चाहे पर्यटन के लिए हो या तीर्थाटन के लिए या अन्‍य आवश्‍यक काम से यात्रा करना । हर व्यक्ति अपनी यात्रा को सुखद बनाना चाहता है । सुखद और सुगम यात्रा के लिए सबसे अच्छा साधन है रेलगाड़ी । रेल यात्रा कई मामलों में अन्य साधनों से किए गए यात्रा की तुलना में सुखद होता है । रेल की उपयोगिता के आधार पर इसे देश का धड़कन भी कहते हैं ।

यहाँ पढ़ें : भारत की पर्वतीय रेलवे

यातायात के बहुत साधन है । साइकिल से लेकर हवाई जहाज तक ।  सभी साधनों का अपना-अपना महत्व है । कोई छूटी दूरी तय करने के लिए उपयुक्‍त हैं, तो कोई निजी यात्रा के लिए । हवाई जहाज की यात्रा देश के आम जन के आर्थिक पहुँच से दूर है । रेल गाड़ी ही एक ऐसा साधन है जो सार्वजनिक होते हुए भी निजी यात्रा का सुख देती है। रेल के माध्‍यम से छोटी और बड़ी दूरी दोनों तय की जा सकती है । मेट्रो ट्रेन की सहायता से लाखों लोग रोज अपने काम के लिए आते जाते हैं । पर्यटक एवं तीर्थयात्री रेल यात्रा को ही ज्यादा पसंद करते हैं ।

यहाँ पढ़ें : IRCTC Full Form in Hindi 

रेल यात्रा अन्य साधनों से किए गए यात्रा की तुलना आरामदायक एवं सुविधाजनक होता है । रेल के डिब्‍बे हवादार होता है, बैठने के लिए पर्याप्त आकार का सीट उपलब्ध होता है, सोने के लिए बर्थ होता है और सबसे बड़ी बात हर डिब्बे शौचालय प्रसाधन की सुविधा होती है । रेलवे विभाग द्वारा यात्रियों के मांग पर भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है । एक प्रकार रेल का डिब्बा यात्री के लिए यात्रा से समय एक घर जैसे होता है।

Essay on Train Journey in Hindi

यहाँ पढ़ें : Essay On Fuel Conservation In Hindi

लंबी यात्रा के लिए रेल एकमात्र साधन है जो अमीर गरीब सभी के पहुँच में है । हवाई यात्रा केवल धनाढ्यों के लिए है, गरीब आदमी हवाई यात्रा करने के बारे में सोच भी नहीं सकते । मध्यमवर्गीय अपनी कार वगैरह से छोटी यात्रा तो कर सकते हैं किन्तु लंबी यात्रा के लिए रेल पर निर्भर होते हैं । इस प्रकार रेल लंबी यात्रा के लिए एकमात्र साधन है ।

रेल यात्रा करते समय खिड़की से बाहर देखने पर मनोहारी छवि दिखाई देता गांव, जंगल, खेत, खलिहान, सुरंग, पुल शहर का चकाचौंध सभी कुछ रेल यात्रा करते समय हम देख सकते हैं । रेल यात्रा एक प्रकार से एक प्राकृतिक यात्रा है जिसमें हम प्रकृति की सुंदर छवि को देख सकते हैं।

यहाँ पढ़ें : Essay On Lockdown In Hindi

रेल यात्रा करते समय जब हम अपने बोगी में प्रवेश करते हैं तो हमें विभिन्‍न राज्‍यों के यात्री अनायास ही दिखाई दे जाते है । जब हम यात्रा कर रहे होते हैं तो जाने-अनजाने सहयात्रियों से परिचय होता है । चूँकि रेल कई राज्यों से होकर गुजरता है इसलिए अन्य भाषा-भाषाई लोगों से भी परिचय हो जाता है । एक दूसरे के राज्यों के सांस्कृतिक विचारधारा से भी परिचय हो जाता है । इस परिचय से मन में कहीं न कहीं आत्म गौरव की अनुभूति होती है ये लोग मेरे देश के हैं, मैं उनके देश का हूं । इस प्रकार रेल यात्रा राष्ट्रीय भावना को बढ़ाने में सहायक है ।

मैं जिस गांव से आता हूँ, उसके चारों ओर 60 किमी तक कोई रेलवे स्टेशन नहीं है न ही हमारे आसपास से ही रेल गुजरता । इसलिए रेल का हम दैनिक प्रयोग नहीं कर सकते लेकिन हां, जब भी हमें लंबी दूरी की यात्रा करनी होती है, हम रेल से ही यात्रा करते हैं । ज्यादातर मैं रेल यात्रा तीर्थाटन करने के लिए किया है ।

मेरी अंतिम रेल यात्रा कोरोना काल के एक वर्ष पूर्व 2018 में हुआ था, जब मैं परिवार सहित जगन्नाथ पुरी की यात्रा की थी । हमारे निकटतम रेलवे स्टेशन बिलासपुर से पुरी तक की कई ट्रेनें उपलब्ध हैं । हमने लगभग एक पखवाड़ा पहले स्लीपर कोच में रिजर्वेशन करा लिया था । यात्रा के निर्धारित दिन सार्वजनिक बस से बिलासपुर स्टेशन पहुँचे । उस दिन ट्रेन अपने निर्धारित समय से एक घंटा विलंब से चल रहा था ।  एक घंटा विलंब से ही सही हम लोग सपरिवार अपने निर्धारित कोच में प्रवेश कर अपने निर्धारित सीट में बैठ गए और यात्रा शुरू हुई ।

हम बच्चों के लिए यह रेल यात्रा बहुत रोमंचक लग रहा था । कोच के अंदर नाना प्रकार के लोग और खिड़की से बाहर देखने पर नाना प्रकार के दृश्‍य । देख-देख कर हम बहुत खुश हो रहे थे । फेरी वाले कभी चाय लेकर आते, कभी समोसा लेकर आते तो कभी और कुछ खाने का हम लोग मौज मस्ती करते हुए कभी समोसा खाते तो कभी चाय पीते । ऐसे करते-करते सांझ ढली और रात गहरी हो गई और हम अपने बर्थ मस्ती करते-करते सो गए । सुबह उठे तो हमने पाया कि हम लोग पुरी स्टेशन पर थे ।

वास्तव में रेल यात्रा मनोरंजक, आरामदायक और सुविधाजनक होता है । विशेषकर जब हम अपने परिवार के साथ यात्रा करते हैं यह यात्रा और अधिक सुखद हो जाता है । अपनी यात्रा में मैने एक चीज अनुभव किया कि लोग रेल में गंदगी फैलाते हैं, सफाई पर ध्यान नहीं देते । चूँकि जब तक हम यात्रा में होते कोच हमारा घर और बर्थ हमारा कमरा होता है । जिस तरह हम अपने घर की सफाई पर ध्यान देते हैं, उसी प्रकार हमें रेल के उस कोच की सफाई पर ध्यान रखना चाहिए जिससे हम यात्रा कर रहे होते है ।

अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर निबंध

reference Essay on Train Journey in Hindi

railway journey essay in hindi

A Hindi content writer. Article writer, scriptwriter, lyrics or songwriter, Hindi poet and Hindi editor. Specially Indian Chand navgeet rhyming and non-rhyming poem in poetry. Articles on various topics especially on Ayurveda astrology and Indian culture. Educated best on Guru shishya tradition on Ayurveda astrology and Indian culture.

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Hindi Facts

2 Best Train Journey Essay in Hindi | मेरी रेलयात्रा पर निबंध

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Train Journey Essay in Hindi | मेरी रेलयात्रा पर निबंध पर 2 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं ।

क्या आप खुद से अच्छा निबंध लिखना चाहते है या अच्छा निबंध पढ़ना चाहते है तो – Essay Writing in Hi ndi

रेल का सफ़र – Train Journey Essay in Hindi

रेल यातायात का एक साधन है। हम रेल में बैठकर दूर-दूर तक जा सकते हैं। रेलगाडी बहुत बड़ी होती है। इसमें दस-पंद्रह डिब्बे होते हैं। रेल से सैकड़ों लोग सफ़र करते हैं। रेल का इंजन रेलगाडी को खींचकर ले जाता है। यह पटरियों पर चलती है। रेल स्टेशन से जाती है। रेलगाड़ी को ड्राइवर चलाता अंत में गार्ड का डिब्बा होता है। हर रेलगाड़ी में एक गार्ड होता है, जो उसे रुकने और चलने का संकेत देता है।

हम रेल में सफ़र कैसे करते हैं? हम घर से कार या टैक्सी से स्टेशन तक जाते हैं। टिकट खिड़की से टिकट लेते हैं। फिर प्लेटफॉर्म पर पहुँचते हैं। रेलगाड़ी प्लेटफॉर्म पर आती है। कई यात्री उतरते है कई यात्री चढ़ते हैं। फिर हम अंदर जाकर सीट पर बैठते हैं। गार्ड हरी झंडी दिखाता है और रेल धीरे-धीरे चलना प्रारंभ होती है, लेकिन जल्दी ही तेज़ी से चलने लगती है।

हर डिब्बे में कई सीटें होती हैं। लोग सीटों पर बैठते हैं। दूर जाने वाले स्लीपर पर सो सकते हैं। हर डिब्बे में पंखे और बत्तियाँ होती हैं। कुछ गाड़ियों में बिस्तर भी मिलता है। हर डिब्बे में वॉश बेसिन और बाथरूम भी होते हैं। दूर जाने वाले लोग रेलगाड़ी में ही नाश्ता करते है, खाना खाते है, चाय, कॉफ़ी आदि पीते हैं। स्टेशनों पर दुकानें भी होती हैं। लोग यहाँ से फल, अखबार आदि ज़रूरत की चीजें ले सकते हैं।

एक डिब्बे में कई लोग होते हैं। दूर जाने वाले एक-दो दिन रेलगाड़ी में ही सफ़र करते है। सफ़र में कुछ लोग किताबें पढ़ते हैं। कुछ लोग शतरंज, ताश आदि खेलते हैं। कुछ लोग बातें करते हैं या गाना गाते हैं। बच्चों को रेलगाड़ी में बड़ा मज़ा आता है। वे हमेशा खिड़की के पास बैठते हैं और बाहर देखते हैं। बाहर अच्छे-अच्छे दृश्य दिखाई देते हैं। पेड़, पौधे, नदी, पुल, पहाड़, पहाड़ में सुरंग, बिजली के तार, शहर सब दिखाई देते हैं।

हम कहीं गाँव का मेला देख सकते हैं। कहीं खेत में काम करने वालों को देख सकते हैं। कहीं रेल की पटरी के साथ-साथ सडक चलती दिखाई देती है। सड़क पर साइकिल, स्कूटर, कार, ट्रक आदि आते-जाते दिखाई देते हैं। मुझे रेल का सफ़र बहत अच्छा लगता है। ऐसा लगता है की पूरा शहर पटरी पर जा रहा है। रेल के सफ़र में जैसे पूरा देश हमारे सामने आ जाता है।

मेरी रेलयात्रा (ऐतिहासिक स्थान की यात्रा) | Train Journey Essay in Hindi

जब कभी मुझे रेल-यात्रा का अवसर मिलता है, बडा आनन्द आता है। यदि ऐतिहासिक स्थानों की रेलयात्रा हा तो वह सोने पर सुहागा होता है। आधुनिक शिक्षा-प्रणाली के अनुसार ऐतिहासिक स्थानों की जानकारी प्राय: रेलयात्रा द्वारा प्राप्त होती है। विद्यालयों के ऊँची कक्षाओं के छात्र इस शिक्षा प्रणाली से लाभान्वित होते हैं। गत वर्ष मुझे भी अपने विद्यालय के छात्रों के साथ आगरा के ऐतिहासिक स्थान रेल-द्वारा देखने का अवसर प्राप्त हुआ।

निश्चित किए गए समय के अनुसार सब छात्र प्रातः छः बजे विद्यालय पहुंचे। स्कूल बस में बैठकर हम सब छात्र और आदरणीय अध्यापक 6 बजे नई दिल्ली स्टेशन पर पहुँचे। ‘ताज एक्सप्रेस’ पहले से ही प्लेटफार्म नं० 4 पर हमारी प्रतीक्षा कर रही थी। हमारे लिए रेलगाड़ी का एक डिब्बा पहले ही आरक्षित कराया गया था। प्लेटफार्म पर अपार भीड़ थी। कुली सामान उठाए आ-जा रहे थे।

ठीक सात बजे गार्ड ने सीटी बजाई और गाड़ी ‘छुक-छुक’ करती चल पड़ी। यह तीन घण्टे की रोमांचक यात्रा मैं कभी नहीं भूल सकता। सब छात्र अपनी-अपनी सीटों पर बैठे गीत गा रहे थे। अध्यापक महोदय ने हमें आगरा और ताजमहल के बारे में जानकारी दी। गाड़ी तीव्र गति से फरीदाबाद, होडल, पलवल, छोड़ती हुई मथुरा पहुंची।

गाड़ी में ही चाय-पानी का प्रबन्ध था। अतः सुबह का नाश्ता हमने गाड़ी में ही किया। गाड़ी के चलते ही ठण्डी हवा के झोंके आने लगे। आकाश में पक्षी उड़ रहे थे। निरभ्र आकाश प्रात:काल अत्यन्त सुन्दर लग रहा था। मार्ग में नदी – के पुल पर से हमने धोबियों को कपड़े धोते देखा। मथुरा का पेड़ा हमने मथुरा से अवश्य खरीदा।

ठीक 10 बजे हमारी गाड़ी आगरा पहुँची। हम वहाँ बसों में बैठकर ऐतिहासिक स्थान देखने गए। मुगल बादशाह शाहजहाँ का यह नगर हमें बहुत पसन्द आया। ताजमहल की सुन्दरता वर्णनातीत हैं। सफेद संगमरमर में इस मकबरे को देखकर हम आश्चर्य चकित रह गए। फतेहपुर सीकरी और दूसरे ऐतिहासिक स्थान देखकर हम शाम छ: बजे स्टेशन पर लौट आए। सात बजे रेलगाड़ी में बैठकर हम सब नई दिल्ली स्टेशन पर रात दस बजे पहुंचे। रात की यात्रा का कुछ और ही आनन्द आया।

यह मेरे जीवन की एक अविस्मरणीय यात्रा है। विद्यार्थी काल में अपने साथियों के साथ हँसने, घुमने, खाने-पीने आदि में जो आनन्द आया वह मैं कभी नहीं भूल सकता।

तो दोस्तों आपको यह Train Journey Essay in Hindi | मेरी रेलयात्रा पर निबंध पर यह निबंध कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।

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रेल यात्रा पर निबंध

Essay on Train Journey in Hindi : हम यहां पर रेल यात्रा पर निबंध पर शेयर कर रहे है। इस निबंध में रेल यात्रा के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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रेल यात्रा पर निबंध | Essay on Train Journey in Hindi

रेल यात्रा पर निबंध (200 शब्द).

यात्रा का शाब्दिक मतलब होता है एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना। जब भी यात्रा करने की बात आती है तो सबके मन में शीर्ष स्थान पर ट्रेन का ही चित्र छा जाता है। रेलयात्रा हर वर्ग और हर आयु के लोगों को आकर्षित करती है। ट्रेन से यात्रा करना रोमांचक और रोमांस से भरपूर होता है।

बस और विमान की तुलना में रेलयात्रा अधिक सस्ती, आरामदायक और आनंददायक होती है। लंबे पथ और रात भर मुसाफरी के लिए ट्रेन सबसे सुरक्षित परिवहन में से एक है। छोटे बच्चों के साथ रेल में सफर करना अधिक सुलभ हो जाता है। ट्रेन सफर के वातावरण को जीवंत बनाता है।ट्रेन की छोटी छोटी खिड़कियों से हम  पहाड़, नदियाँ , जंगलों और खेत जैसे चलते फिरते दृश्यों को देख सकते है।

ट्रेन के डिब्बे में हम स्वत्रंत रूप से से घूम और सो सकते है। इसके अलावा रेलयात्रा के दौरान हम संगीत सुन सकते है, नए लोगों को मिल सकते है , किताबें भी पढ़ सकते है। कुछ ट्रेनें अपने यात्रियों को गुणवत्ता भोजन प्रदान करती हैं। जब ट्रेन निर्धारित स्टेशनों पर रुकती है, तब प्लेटफार्मों पर भोजन खरीदने के लिए  जाने का उत्साह ही अलग होता है।

सच में रेलयात्रा हमें अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती है। रेल यात्रा का अनुभव सबसे मधुर होता है। इसे हमें जीवन में कम से कम एक बार जरूर आजमाना चाहिए।

रेल यात्रा पर निबंध (600 शब्द)

यात्रा करना हर किसी को पसंद होता हैऔर जब यात्रा खास करके ट्रेन में करनी हो। रेलयात्रा का अपना अलग ही मज़ा है। बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी को रेलयात्रा अपनी ओर आकर्षित करती है। सबकी ज़िंदगी में रेल का सफर अविस्मरणीय होता है और अपने साथ कई यादों को संजोता है। भारत में रेलयात्रा दूसरे परिवहन के मुकाबले में काफी सस्ती और आरामदायक होती है।

भारत में माल और यात्रियों के लिए रेलवे परिवहन का प्रमुख साधन है। रेलवे लंबी दूरी पर माल के परिवहन के साथ-साथ व्यापार, दर्शनीय स्थलों की यात्रा और तीर्थयात्रा जैसी कई गतिविधियों का संचालन भी करता है।

रेलयात्रा के लाभ

रेलयात्रा के कई सारे लाभ है। ट्रेन की मुसाफरी सबसे सस्ती और आरामदायक होती है। प्रतिकूल मौसम की स्थिति का रेलयात्रा पर कम प्रभाव पड़ता है। रेल यात्रा सुरक्षित होती है क्योंकि चोरी या डकैती की संभावना कम होती है। 

छोटे बच्चों और सीनियर सिटीजन के लिए ट्रेन में कई व्यस्था होती है।आप अपने डिब्बे में आराम से टहल भी सकते हो। किताबें पढ़कर, खेल खेलकर, संगीत को सुनते हुए आप अपना समय  सफ़र के दौरान आराम से काट सकते हो। ट्रेन में चढ़ने वाले विक्रेता बच्चों के अनुकूल स्नैक्स बेचते हैं। नमकीन मूंगफली, चॉकलेट और काजू बच्चों के लिए खुशी का एक बड़ा स्रोत हैं। 

ट्रैन में सोने और भोजन के लिए भी बहेतर व्यवस्था होती है। रेलयात्रा एक दूसरे को करीब लाती है। लोगों से मिलना, अपनी चीजें शेयर करना जैसी कई बातें हमें इस यात्रा के दौरान सिखने को मिलती है। 

रेलयात्रा और प्रकृति

ट्रेन से यात्रा करना अविश्वसनीय रूप से दर्शनीय हो सकता है। आप ट्रेन की सीट से शहरों, पहाड़ों ,बाग-बगीचे समेत चारों तरफ हरियाली और नदियों को देख सकते हैं। ट्रेन यात्रा  हवाई और कारकी तुलना में  एक बेहतर, अधिक आराम का अनुभव करवाती है । ट्रेन की यात्रा बहुत ही शानदार होती है क्योंकि यह आपको वास्तविक प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेने का मौका देती है।

खिड़कियों से प्रकृति की सुरम्य सुंदरता को  देखने का अनुभव काफी शानदार होता है। रेलयात्रा हर एक यात्री को एक जीवंत वातावरण प्रदान करता है।

पिछली गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने माता-पिता के साथ दिल्ली घूमने गया था पहले हम टैक्सी लेकर  रेलवे स्टेशन गए। हमने टिकट खरीदे और प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतजार करने लगे। ट्रेन प्लेटफॉर्म पर समयसर आ चुकी और हम करीब रात के 8.20 बजे दिल्ली के लिए निकल गए। हम भाग्यशाली थे कि हमें अच्छी सीटें मिलीं।

हमने रास्ते में टी.टी.सी. आया और हमारे टिकट चेक किए। हमने रात का भोजन ट्रेन में ही किया। ट्रेन का भोजन काफी स्वादिष्ट था और हमने इस स्वादिष्ट भोजन का लुफ्त उठाया। रात में सोने के लिए  हमें ट्रेन की तरफ से चादर ,तकिया और कंबल भी दिया गया। हम दूसरे दिन दोपहर के 3 बजे दिल्ली पहुंचे। 

हमने सफर के दौरान काफी मजे किये। रास्ते में हमें पहाड़ियां,जंगल और नदियों का भी आंनद उठाया। सफर के दौरान हम लोगों से मिले, किताबें पढ़ी और बैठकर कई खेल भी खेले। सच में रेलयात्रा का मेरा अनुभव काफी शानदार रहा।

ट्रेन का सफर कई मायनों में अनोखा होता है। ट्रेन की यात्रा हमें जीवन के कई सबक सिखाती है। सफर के द्वारा हुए अनुभव और  सीखे गए सबक जिंदगी के लिए काफी मूल्यवान हैं। यह हमें प्रकृति के करीब लाती है। व्यस्त प्लेटफॉर्म और खूबसूरत नजारें हमें ऐसी यादें देती हैं जिन्हें हम हमेशा संजो कर रखेंगे। सभी लोगों को अपनी जिंदगी में एक बार रेलयात्रा जरूर करनी चाहिए।

हमने यहां पर  “रेल यात्रा पर निबंध( Essay on Train Journey in Hindi)”  शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Sunday, 30 June 2024

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Mba student from gwalior sexually assaulted in chunabhatti.

Chunabhatti police have booked a youth for sexually assaulting an Gwalior based an MBA student.

On the complaint of the student, Chunabhatti police has registered a case of rape against the youth.

The student met the accused six months ago during a train journey. Then both of them started talking by sharing mobile numbers with each other.

Chunabhatti police said that an MBA student living in Ayodhya bypass area has lodged a complaint against Gwalior resident Shubham Dubey. The accused youth called the student to a hotel located in front of Bansal Hospital in Shahpura two days ago to meet. When the student protested against the molestation, the youth beat her up.

Also, he blackmailed her by threatening to commit suicide by jumping from the roof of the hotel and committed the rape. On Friday, the student came to the police station and complained about Gwalior resident Shubham. After this, a case of rape has been registered against Shubham.

Chunabhatti police station in-charge Bhupendra Kaul Sidhu said that the MBA student had gone to Mathura with her family six months ago. Here, while boarding the train at the railway station, the student got separated from her family. In a hurry, she entered the second bogie of the train and her family entered the other coach. The student did not have a mobile phone till then.

Due to this, she asked for help to make a call to her family from the mobile phone of the youth (Shubham) traveling in the train.  Shubham allowed the student to make a call on his mobile. After this, Shubham started talking to the student by making different excuses. After some time, both of them became friends.

The police said that after the train left Mathura, when the train stopped at the next stop, she went to the reserved seat to be with her family.

Shubham saved the contact number of the student in his mobile as soon as she left.

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रेलगाड़ी पर निबंध / Essay on Train in Hindi

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रेलगाड़ी पर निबंध / Essay on Train in Hindi!

रेलगाड़ी यातायात के आधुनिक साधनों में से एक है। भाप इंजन से डीजल के इंजन और फिर बिजली के इंजनों तक का इसका सफर शानदार रहा है। रफ्तार में भी इसका जवाब नहीं, कहीं 50 किमी प्रति घंटा, कहीं 100 किमी, कहीं तो 300 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ती है यह। भारत में ट्रेनों की अधिकतम गति वर्तमान में 130 किमी प्रति घंटा है जिसे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। जापान की बुलेट ट्रेन 300 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। छुक-छुक करती रेलगाड़ी यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

जब जेम्स वाट ने भाप की शक्ति से चलनेवाला पहला इंजन बनाया तब रेलगाड़ी का जन्म हुआ। रेल की पटरियों बिछाई गई। रेल के इंजन और बोगियाँ बनने लगीं। रेलवे प्लेटफॉर्म और रेलवे स्टेशन बने। भारत में 1856 में पहली रेलगाडी 32 किम का सफर तय करती हुई मुंबई से थाणे के बीच चली । इसके बाद रेल सेवा का विस्तार होता गया । हजारों किमी की रेल की पटरियाँ बिछाई गई ।

रेलयात्रा को सुगम बनाने के प्रयास हुए । चित्तरंजन और वाराणसी में रेल इंजन बनाने का कारखाना स्थापित किया गया । कपूरथला में रेलवे कोच फैक्ट्री खोली गई । कोलकाता में भूमिगत मैट्रो ट्रेन की शुरूआत हुई । सन् 2002 में राजधानी दिल्ली में मैट्रो रेल सेवा का आरंभ हुआ । कुछ अन्य महानगरों में भी मैट्रो रेल योजना का कार्यक्रम तय किया गया । सन् 2009 के रेलवे बजट में जापान की तर्ज पर तेज गति वाली बुलेट ट्रेन चलाने की संभावनाओं का पता लगाने का काम आरंभ हुआ ।

ADVERTISEMENTS:

रेलगाड़ी यात्रा का बेजोड़ माध्यम है । रेलें भारत को जोड़ने का कार्य करती हैं । आप कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेलों के द्वारा पहुँच सकते हैं । हजारों गाड़ियाँ प्रतिदिन चलती हैं । कुछ लंबी दूरी तक तो कुछ छोटी दूरी तक । छोटी दूरी तक चलने वाली स्थानीय गाड़ियाँ दैनिक यात्रियों के लिए बहुत लाभदायक होती हैं । लंबी दूरी तक यात्रा करने वाले यात्री सड़क यातायात के बजाय रेलमार्ग से यात्रा करना पसंद करते हैं । रेलयात्रा आरामदायक होती है । इसमें बस यात्रा के समान थकान नहीं होती । इसका किराया भी बस किराए से कम होता है ।

रेलें केवल यात्रियों को ही नहीं, सामानों को भी ढोती हैं । सामान ढोने वाली रेलगाड़ी को मालगाड़ी कहा जाता है । मालगाड़ियाँ व्यापारिक वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाती हैं । चीनी, अनाज, नमक, कोयला, रासायनिक खाद, सीमेंट, लोहा एवं इस्पात जैसी विभिन्न वस्तुओं को रेलवे द्वारा देश के दूर-दराज के स्थानों तक पहुँचाया जाता है । रेलों से माल डुलाई शीघ्र एवं भारी मात्रा में होती है । इस तरह व्यापार और उद्‌योग को बहुत बढ़ावा मिलता है । अकालग्रस्त, बाढ़ग्रस्त और भूकम्पग्रस्त स्थानों में रेलों के जरिए खाद्‌य सामग्री तथा सहायता की अन्य वस्तुएँ पहुँचाई जाती हैं । इतना ही नहीं, इन पर गाय, भैंसें, बकरियाँ और भेड़ें भी ढोई जाती हैं ।

भारतीय रेल सेवा दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल-सेवा है । भारतीय रेलें प्रतिदिन एक आस्टेरलिया को ढोती हैं । हर दिन डेढ़ करोड़ से अधिक लोग इन पर यात्रा करते हैं । रेल के डिब्बे में यात्रियों के बैठने की उचित व्यवस्था होती है । लंबी दूरी तय करनेवाले यात्रियों के लिए बैठने, सोने और खाने-पीने की व्यवस्था होती है ।

आरामदायक यात्रा के लिए कुछ डिब्बे वातानुकूलित बनाए जाते हैं । इनमें अक्सर धनी लोग ही यात्रा करते हैं । गरीब यात्रियों के लिए भी ‘ गरीब-रथ ‘ जैसी कुछ वातानुकूलित ट्रेने चलाई गई हैं । वृद्धों तथा विकलांगों को रेल किराए में कुछ रियायत दी जाती है ।

रेलयात्रा का आनंद अनूठा होता है । इस यात्रा में समय और धन की बचत होती है । लंबी दूरी के यात्री खाने-पीने, पहनने आदि का सामान साथ लेकर चलते हैं । रेल प्रशासन द्वारा भी खाने-पीने की व्यवस्था की जाती है । रेलगाडियाँ विभिन्न यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलों में आरक्षी बल तैनात किए जाते हैं । रेलवे प्लेटफॉर्मा पर यात्रियों के बैठने तथा खाने-पीने की व्यवस्था होती है । यहाँ शौचालय तथा प्रसाधन कक्ष भी बने होते हैं । रेलवे टिकटों की बुकिंग स्टेशनों पर तथा अन्य स्थानों पर होती है । आरक्षित टिकटें अब इंटरनेट पर भी बनती हैं । इस तरह रेलगाड़ी से आरामदायक यात्रा के लिए रेल प्रशासन द्वारा सभी आवश्यक प्रबंध किए जाते हैं । रेलगाड़ी आधुनिक युग में किसी वरदान से कम नहीं ।

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